नयी दिल्ली: भारत का मानना है कि भारत और अमेरिका अनुसंधान, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण को प्राथमिकता देकर वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को और मजबूत कर सकते हैं तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर और सहयोगी वैक्सीन पहलों का विस्तार करके, दोनों देश स्वास्थ्य परिणामों में सुधार कर सकते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सोमवार को यहां अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित करते हुए कहा कि भारत फार्मास्यूटिकल्स में वैश्विक नेता के रूप में उभरा है, जो जेनेरिक दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। इसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के लिए पर्याप्त बचत हुई है, जिसमें अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में उल्लेखनीय योगदान भी शामिल है। उन्होंने कहा, “भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग का योगदान इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि भारत में अमेरिका के बाहर सबसे अधिक यूएस एफडीए-अनुमोदित फार्मास्युटिकल संयंत्र हैं। यह अमेरिका के बाहर यूएस एफडीए-अनुमोदित दवाओं की कुल संख्या का 25 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि देश वैक्सीन उत्पादन में भी अग्रणी है। दुनिया में निर्मित सभी टीकों में से 50 प्रतिशत भारत से हैं। पिछले एक वर्ष में , दुनिया भर में निर्मित और वितरित आठ अरब वैक्सीन खुराक में से चार अरब खुराक भारत में निर्मित की गईं।
केंद्रीय सचिव ने कहा कि एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए भारत ने चिकित्सा शिक्षा में सुधार किया है और पुराने नियामक ढांचे को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम और संबंधित कानूनों के साथ बदल दिया है। इससे मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या और नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, भारत एक सक्षम स्वास्थ्य कार्यबल का सृजित करने के लिए तैयार है जो राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों जरूरतों को पूरा करता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूत भारत-अमेरिका साझेदारी पर, केंद्रीय सचिव ने कहा कि निगरानी, महामारी की तैयारी और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के क्षेत्र में पारस्परिक और साझा प्राथमिकताएँ राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और यूएस रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के बीच गहरी साझेदारी में हैं।
श्रीमती पुण्य ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में भारत-अमेरिका साझेदारी साझा स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगपूर्ण प्रयासों का उदाहरण है। भारत-अमेरिका स्वास्थ्य वार्ता जैसी पहलों ने रोग निगरानी, महामारी की तैयारी और रोगाणुरोधी प्रतिरोध में ठोस परिणाम दिए हैं।