माघी पूर्णिमा पर संगम में 38 लाख 20 हजार लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

प्रयागराज: आस्था, विश्वास और संस्कृतियों के संगम में माघ मेले के पांचवे माघी पूर्णिमा स्नान पर्व पर पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: शलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम में यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र जल में 38 लाख 20 हजार श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि.

प्रयागराज: आस्था, विश्वास और संस्कृतियों के संगम में माघ मेले के पांचवे माघी पूर्णिमा स्नान पर्व पर पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: शलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम में यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र जल में 38 लाख 20 हजार श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शाम छह बजे तक 38 लाख 20 हजार श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। प्रशासन अधिकारी मेला क्षेत्र में स्नान करने आए श्रद्धालुओं से अपने लोगों का हाथ पकड़े रहने तथा छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान रखने की लगातार लाउडस्पीकर पर उद्घोष कर रहे हैं।

प्रभारी माघ मेला अधिकारी दयानंद ने बताया कि श्रद्धालुओं को सुगमता से स्नान करने के लिए 12 घाट तैयार कराए गए हैं। मेला क्षेत्र में प्रवेश के साथ ही निकास पर अधिक जोर रहेगा। मेला क्षेत्र में सभी व्यवस्था मौनी अमावस्या वाली ही है। ब्रह्ममुहूर्त बेला से कल्पवासी, साधु-संत और दूर-दराज से स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने स्नान शुरू कर दिया था। मौसम सुहावना होने से भोर से ही संगम तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आ रही है। बुजुर्ग, युवा, बच्चे, महिलाएं, गरीब-अमीर श्रद्धालु बिना किसी भेदभाव के संगम में ऊं नम: शिवाय, हर-हर गंगे और हर हर महादेव, जय गंगा मइया का जयघोष करते हुए आस्था की डुबकी लगाई।

माघ मेला के लघु भारत में अनेकता में एकता का नजारा देखने को तब मिलता है जब श्रद्धालुओं का समूह एक साथ संगम में बिना भेदभाव के आस्था की डुबकी लगायी। स्नान के बाद श्रद्धालु विशेषकर महिलाओं ने सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया, कोई गंगा मां को पुष्प और दुग्ध अर्पण कर रहा तो कोई धूप-दीप और अगरबत्ती सुलगा कर मां गंगा की आराधना कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

वैदिक शोध संस्थान एवं कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि आज माघी पूर्णिमा लंबे अंतराल के बाद मघा नक्षत्र में पड़ रही है। इस बार माघी पूर्णिमा शुक्रवार की दोपहर तीन बजकर 33 मिनट से अगले दिन शनिवार शाम करीब छह बजे तक माघ पूर्णिमा के स्नान, दान का मुहूर्त है। उन्होंने बताया कि माघ पूर्णिमा पर कुंभ राशि में बुध, सूर्य और शनि के गोचर करने के ग्रहों की विशेष युति बन है। मघा नक्षत्र इस घड़ी को और भी शुभ फलदायी बनाएगा। यह योग किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। मंगल के मकर राशि में होने से रूचक राज योग भी पड़ रहा है।

पुलिस कमिश्रर रिमत शर्मा ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर मेला क्षेत्र में हाईअलर्ट के साथ पुलिसए पीएसीए आरएएफ के जवान समेत पुलिस और निजी गोताखोर स्नान घाटों पर तैनात किये गये है। पूरे मेला क्कैष्क्षेत्र की अलग अलग टीमें बनाकर एंटी सबाटोजए टीम एवं डाग स्क्वायड संग फोर्स जांच पड़ताल कर रही है। हनुमान मंदिरए संगम नोज समेत मेला क्षेत्र के प्रत्येक संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्थ भी बढ़ाई गई है।

मेला क्षेत्र में पीएसी की 10 कमनियों के साथ ही एटीएसए के कमांडो भी कैंप कर रहे हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आरएएफ को भी मुस्तैद किया गया है। आरएएफ की दो टीमों ने मोर्चा संभाला हुआ है। मेला क्षेत्र में 300 सीसीटीवी कैमरों से मिलने वाली लाइव फीड के जरिए लाइव निगरानी की जा रही है। जल पुलिस के जवान लगातार स्टीमर से श्रद्धालुओं से निर्धारित सीमा से आगे बढ़कर स्नान नहीं करने की चेतावनी देते चक्रमण कर रहे थे।

प्रयागराज में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर आदिकाल से माघ मास में कल्पवास करने की एक माह की परंपरा का कल्पवासी निर्वहन करते हैं। पौष पूर्णिमा से एक मास का आरंभ हुआ जपए तप और साधना में लीन रहे कल्पवासी आध्यात्मिक शक्ति बटोरकर माघी पूर्णिमा स्नान के साथ गृहस्थ आश्रम में प्रवेश के लिए वापसी शुरू कर दिया।

तीर्थ पुरोहित और प्रयाग धर्म संघ के अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि कल्पवासी माघी पूर्णिमा स्नान के बाद धीरे-धीरे पुनरू गृहस्थ आश्रम की ओर प्रस्थान करेंगे। उन्होंने पद्मपुराण का हवाला देते बताया कि त्रिजटा स्नान महापुण्य वाला माना गया है। कुछ कल्पवासी त्रिजटा स्नान कर कल्पवासी संगम क्षेत्र खाली करेंगे। त्रिजटा का स्नान सोमवार को होगा। उन्होंने बताया कि करीब दो से ढाई लाख कल्पवासी संगम क्षेत्र में कल्पवास कर रहे थे।

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