पितरों को विदाई के समय भूल कर भी न करें ऐसा काम, वर्ना पछताना पड़ेगा

आप सभी जानते ही होंगे कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्‍या तक का समय पितृ पक्ष होता है। पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को समर्पित हैं। इस साल13 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 09 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होने वाली है और इस तिथि की समाप्ति 14.

आप सभी जानते ही होंगे कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्‍या तक का समय पितृ पक्ष होता है। पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को समर्पित हैं। इस साल13 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 09 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होने वाली है और इस तिथि की समाप्ति 14 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगी। उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार को है। यह शनि अमावस्या भी है।

14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के श्राद्ध का समय सुबह 11 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ है, जो दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसमें कुतुप मूहूर्त, रौहिण मूहूर्त और अपराह्न काल तीनों शामिल हैं. सर्व पितृ अमावस्या पर कुतुप मूहूर्त 46 मिनट, रौहिण मूहूर्त 46 मिनट और अपराह्न काल 02 घंटा 18 मिनट का होगा।

कुतुप मूहूर्त: 11:44 एएम से 12:30 पीएम तक
रौहिण मूहूर्त: 12:30 पीएम से 13:16 पीएम तक
अपराह्न काल: 13:16 पीएम से 15:35 पीएम तक

सर्व पितृ अमावस्‍या महत्व
पितृ पक्ष की 16 ति​थियों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन आप सभी पितरों का श्राद्ध, तर्पण आदि कर सकते हैं। आपको अपने जिन पितरों के बारे में मालूम न हो और जिन पितरों के निधन की तिथि मालूम न हो तो आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन सभी के लिए तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि कर्म, श्राद्ध आदि कर सकते हैं। इसमें माता पितरों का भी श्राद्ध हो सकता है। हालांकि नवमी ​श्राद्ध तिथि पर सभी माता पितरों का श्राद्ध किया जाता है।

 

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