धर्म डेस्क : श्राद्ध पक्ष, जिसे श्राद्धकाल भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण आयोजन है जो पितृ ऋतु के दौरान आयोजित किया जाता है। यह पक्ष आमतौर पर भद्रपद मास (भादों का महीना) के कृष्ण पक्ष से शुरू होता है और आश्वयुज मास के कृष्ण पक्ष तक चलता है। इस पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा को शांति देने का कार्य किया जाता है।
श्राद्ध पक्ष 14 सितंबर को समाप्त होगा। इस दौरान इस पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है, मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतृष्टि मिलती है, कालसर्प दोष और पितृ दोष भी समाप्त होता है। प्राचीनकाल में तो कई तरह के दान किए जाते थे जैसे गौ-दान, भूमिदान, स्वर्ण दान और चांदी दान परंतु इस कलिकाल में ये तो संभंव नहीं है। श्राद्ध पक्ष में अन्न दान तो करते ही हैं परंतु इसके अवाला भी कई प्रमुख दान हैं।
1. वस्त्र दान: श्राद्ध में वस्त्र दान एक महत्वपूर्ण पारंपरिक प्रथा है, जिसमें पितृ ऋतु के दौरान पितृगण के आत्माओं के लिए वस्त्र (कपड़ा) दान किया जाता है।वस्त्र दान में धोती, टोपी या उत्तरीय (गमछा) दिया जाता है। कहते हैं कि पितर अपने वंशजों से वस्त्र की भी कामना आदि करते हैं।
2. काला तिल दान : श्राद्ध में काला तिल दान करना एक प्राचीन पारंपरिक प्रथा है, जो हिन्दू श्राद्ध के दौरान महत्वपूर्ण होता है। यह पितृ ऋतु के दौरान पितृगण के आत्मा के शांति और मुक्ति के लिए किया जाता है। काले तिलों का दान करने से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्र बाधा से मुक्ति तो मिलती है ही साथ ही यह दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है।
3. घी दान: घी का दान करने से पुराने समय से ही पुण्य की दिशा में विश्वास किया जाता है कि इससे पितृगण को आत्मा की शांति और सुख मिलता है। गाय का घी पात्र सहित दान करने से इससे गृहकल नहीं होती और पारिवारिक जीवन खुशहाल हो जाता है।
4. नमक का दान : पितृगण की आत्मा को प्राप्त नमक के माध्यम से सुख और आराम मिलता है। नमक का दान करने से प्रेत बाधा और आत्माओं से मुक्ति मिलती है।
5. गौ-दान : इस दान को करने से मुक्ति की प्राप्ति होती है। जातक इस दान को संकल्प से प्रतिकात्मक रूपस से भी कर सकता है।