विज्ञापन

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 31 अक्टूबर 2024

धर्म : वडहंसु महला ३ ॥ इहु सरीरु जजरी है इस नो जरु पहुचै आए ॥ गुरि राखे से उबरे होरु मरि जमै आवै जाए ॥ होरि मरि जमहि आवहि जावहि अंति गए पछुतावहि बिनु नावै सुखु न होई ॥ ऐथै कमावै सो फलु पावै मनमुखि है पति खोई ॥ जम पुरि घोर अंधारु महा.

- विज्ञापन -

धर्म : वडहंसु महला ३ ॥
इहु सरीरु जजरी है इस नो जरु पहुचै आए ॥ गुरि राखे से उबरे होरु मरि जमै आवै जाए ॥ होरि मरि जमहि आवहि जावहि अंति गए पछुतावहि बिनु नावै सुखु न होई ॥ ऐथै कमावै सो फलु पावै मनमुखि है पति खोई ॥ जम पुरि घोर अंधारु महा गुबारु ना तिथै भैण न भाई ॥ इहु सरीरु जजरी है इस नो जरु पहुचै आई ॥१॥

अर्थ : यह सरीर नास हो जाने वाला है, इस को बुढ़ापा आ दबाता है। जिनकी गुरु ने रक्षा की, वह (मोह में गर्क होने से)बच जाते हैं पर और जनम मरण में रहते हैं। और अंत समय पछताते हैं; हरी नाम के बिना आत्मिक जीवन का सुख नहीं मिलता। इस लोक में जीव जो करनी कमाता है वोही फल भोगता है। अपने मन के पीछे चलने वाला (प्रभु दरबार में) अपनी इज्जत गवा लेता है। (उनके लिए) जम राज की पूरी में भी घोर अँधेरा, घोर अँधेरा ही बना रहता है, उधर बहिन या भाई कोई सहायता नहीं कर सकता। यह सरीर पुराना हो जाने वाला है, इस को भुदापा (जरूर) आ जाता है॥1॥

- विज्ञापन -
Image

Latest News