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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 25 दिसंबर

वडहंसु महला ४ ॥ हरि किरपा हरि किरपा करि सतिगुरु मेलि सुखदाता राम ॥ हम पूछह हम पूछह सतिगुर पासि हरि बाता राम ॥ सतिगुर पासि हरि बात पूछह जिनि नामु पदारथु पाइआ ॥ पाइ लगह नित करह बिनंती गुरि सतिगुरि पंथु बताइआ ॥ सोई भगतु दुखु सुखु समतु करि जाणै हरि हरि नामि हरि राता ॥ हरि किरपा हरि किरपा करि गुरु सतिगुरु मेलि सुखदाता ॥१॥ सुणि गुरमुखि सुणि गुरमुखि नामि सभि बिनसे हंउमै पापा राम ॥ जपि हरि हरि जपि हरि हरि नामु लथिअड़े जगि तापा राम ॥ हरि हरि नामु जिनी आराधिआ तिन के दुख पाप निवारे ॥सतिगुरि गिआन खड़गु हथि दीना जमकंकर मारि बिदारे ॥ हरि प्रभि क्रिपा धारी सुखदाते दुख लाथे पाप संतापा ॥ सुणि गुरमुखि सुणि गुरमुखि नामु सभि बिनसे हंउमै पापा ॥२॥

हे हरि, कृपा कर! हे हरि, कृपा कर! कृपा कर! मुझे आत्मिक आनंद देने वाला गुरु मिला, मैं गुरु से परमात्मा की सिफ्त सलाह की बातें पूछा करूंगा। उस गुरु से मैं परमात्मा की सिफ्त सलाह की बातें पूछा करूंगा, जिसने परमात्मा का अमूल्य नाम रतन हासिल किया हुआ है। जिस गुरु ने जीवन का सही रास्ता बताया है मैं उस गुरु के सदा चरण लगूंगा और उस गुरु के आगे विनती करूंगा। वह (गुरू) ही (असली) भगत है, गुरु दुख और सुख को एक जैसा करके जानता है, गुरु सदा परमात्मा के नाम रंग में रंगा रहता है। हे हरि, कृपा कर! हे हरि, मेहर कर! मुझे आत्मिक आनंद देने वाला गुरु मिला दे।१। जो गुरु की शरण आकर गुरमत सुनता है, उसके (परमात्मा के) नाम के द्वारा हाउमे आदि सारे पाप नाश हो जाते हैं। हरी नाम जप के, हरी नाम जप के जगत में जितने भी दुख कलेश हैं वह सारे खत्म हो जाते हैं। जिन्होंने परमात्मा का नाम सुमिरन किया है उनके सारे दुख पाप दूर हो जाते हैं। जिन्होंने गुरु के हाथ में आत्मिक जीवन की सूझ का खंडा पकड़ा दिया है, उन्हो के यमराज के दूत खत्म हो गए। सुखों के दाते हरि प्रभु ने जिस मनुष्य ऊपर कृपा की, उसके सारे दुख पाप क्लेश खत्म हो गए। गुरु की शरण आकर परमात्मा का नाम सुनकर इस हाउमे (अहंकार) आदि सारे पाप दूर (नाश) हो जाते हैं।२।

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