Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 29 दिसंबर

सोरठि महला ५ ॥ मात गरभ दुख सागरो पिआरे तह अपणा नामु जपाइआ ॥ बाहरि काढि बिखु पसरीआ पिआरे माइआ मोहु वधाइआ ॥ जिस नो कीतो करमु आपि पिआरे तिसु पूरा गुरू मिलाइआ ॥ सो आराधे सासि सासि पिआरे राम नाम लिव लाइआ ॥१॥ मनि तनि तेरी टेक है पिआरे मनि तनि तेरी टेक ॥ तुधु बिनु अवरु न करनहारु पिआरे अंतरजामी एक ॥ रहाउ ॥ कोटि जनम भ्रमि आइआ पिआरे अनिक जोनि दुखु पाइ ॥ साचा साहिबु विसरिआ पिआरे बहुती मिलै सजाइ ॥ जिन भेटै पूरा सतिगुरू पिआरे से लागे साचै नाइ ॥ तिना पिछै छुटीऐ पिआरे जो साची सरणाइ ॥२॥

अर्थ: हे प्यारे प्रभू! (मेरे) मन में (मेरे) हृदय में सदा तेरा ही आसरा है (तू ही माया के मोह से बचाने वाला है)। हे प्यारे प्रभू! तू ही सबके दिलों की जानने वाला है। तेरे बिना और कोई नहीं जो सब कुछ करने की समर्था वाला हो। रहाउ। हे प्यारे (भाई)! माँ का पेट दुखों का समुंद्र है, वहाँ (प्रभू ने जीव से) अपने नाम का सिमरन करवाया (और, इसे दुखों से बचाए रखा)। माँ के पेट में से निकाल के (जन्म दे के, प्रभू ने जीव के लिए, आत्मिक जीवन को समाप्त कर देने वाली माया के मोह का) जहर बिखेर दिया (और, इस तरह जीव के हृदय में) माया का मोह बढ़ा दिया। हे भाई! जिस मनुष्य पर प्रभू स्वयं मेहर करता है, उसको पूरे गुरू से मिलवाता है। वह मनुष्य हरेक सांस के साथ परमात्मा का सिमरन करता है, और, परमात्मा के नाम की लगन (अपने अंदर) बनाए रखता है।1। हे भाई! अनेकों जूनियों के दुख सह के करोड़ों जन्मों में भटक के (जीव मनुष्य के जन्म में) आता है, (पर, यहाँ इसे) सदा कायम रहने वाला मालिक भूल जाता है, और इसे बड़ी सजा मिलती है। हे भाई! जिन मनुष्यों को पूरा गुरू मिल जाता है, वे सदा-स्थिर प्रभू के नाम में सुरति जोड़ते हैं। हे भाई! जो मनुष्य सदा-स्थिर प्रभू की शरण में पड़े रहते हैं, उनके पद्-चिन्हों पर चल के (माया के मोह के जहर से) बचा जाता है।2।

Exit mobile version