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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 05 जुलाई 2024

धनासरी महला ५ ॥ मेरा लागो राम सिउ हेतु ॥ सतिगुरु मेरा सदा सहाई जिनि दुख का काटिआ केतु ॥१॥ रहाउ ॥ हाथ देइ राखिओ अपुना करि बिरथा सगल मिटाई ॥ निंदक के मुख काले कीने जन का आपि सहाई ॥१॥

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धर्म : धनासरी महला ५ ॥ मेरा लागो राम सिउ हेतु ॥ सतिगुरु मेरा सदा सहाई जिनि दुख का काटिआ केतु ॥१॥ रहाउ ॥ हाथ देइ राखिओ अपुना करि बिरथा सगल मिटाई ॥ निंदक के मुख काले कीने जन का आपि सहाई ॥१॥ साचा साहिबु होआ रखवाला राखि लीए कंठि लाइ ॥ निरभउ भए सदा सुख माणे नानक हरि गुण गाइ ॥२॥१७॥

अर्थ : हे भाई (उस गुरु की कृपा से) मेरा परमात्मा के साथ प्यार बन गया है, वह गुरु मेरा भी सदा की लिए मददगार बन गया है, जिस गुरु ने (सरन आये हरेक मनुखj का) पुच्शल वाला तारा ही सदा काट दिया है (जो गुरु हरेक सरन आये मनुख के दुःख की जड़ ही काट देता है)॥१॥ रहाउ॥ (हे भाई! वह परमात्मा अपने सेवकों को अपने) हाथ दे कर (दुखों से) बचाता है, (सेवकों को) अपना बना के उनका सारा दुःख-दर्द मिटा देता है। परमात्मा अपने सेवकों का आप मददगार बनता है, और, उनकी निंदा करने वालों के मुहं काले करता है॥१॥ सदा कायम रहने वाला मालिक (अपने सेवकों का आप) रखवाला बनता है, उनको अपने कंठ से लगा कर रखता है। गुरु नानक जी कहते हैं, हे नानक! परमात्मा के सेवक परमात्मा के गुण गा गा कर, और, सदा आत्मिक आनंद मना कर (दुखों क्लेशों से) सदा के लिए निडर हो जाते हैं॥२॥१७॥

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