हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 12 अक्टूबर 2023

बिलावलु महला ५ ॥ ऐसे काहे भूलि परे ॥ करहि करावहि मूकरि पावहि पेखत सुनत सदा संगि हरे ॥१॥ रहाउ ॥ काच बिहाझन कंचन छाडन बैरी संगि हेतु साजन तिआगि खरे ॥ होवनु कउरा अनहोवनु मीठा बिखिआ महि लपटाइ जरे ॥१॥ अंध कूप महि परिओ परानी भरम गुबार मोह बंधि परे ॥ कहु नानक प्रभ.

बिलावलु महला ५ ॥ ऐसे काहे भूलि परे ॥ करहि करावहि मूकरि पावहि पेखत सुनत सदा संगि हरे ॥१॥ रहाउ ॥ काच बिहाझन कंचन छाडन बैरी संगि हेतु साजन तिआगि खरे ॥ होवनु कउरा अनहोवनु मीठा बिखिआ महि लपटाइ जरे ॥१॥ अंध कूप महि परिओ परानी भरम गुबार मोह बंधि परे ॥ कहु नानक प्रभ होत दइआरा गुरु भेटै काढै बाह फरे ॥२॥१०॥९६॥

(हे भाई! पता नहीं जीव ) क्यों इस तरह गलत राह पड़े रहते हैं। (जीव सारे बुरे कर्म) करते कराते भी हैं, (फिर ) मुकर भी जाते हैं (कि हमने नहीं किया)। पर परमात्मा सब जीवों के साथ बस्ता (सब की करतूतें ) देखता सुनता है।1।रहाउ। हे भाई! कांच का व्यापार करना, सोना छोड देना, सच्चे मित्र त्याग कर वैरी के साथ प्यार-(ये हैं जीवों की करतूतें)। परमात्मा (का नाम ) कड़वा लगना, माया का मोह मीठा लगना (यह जीव का सवभाव है)। माया के मोह में फँस कर सदा खीझते रहते है।1। है भाई! जीव (सदा) मोह के अंधे (अंधेरे ) कुएं में पड़े रहते हैं, जीव को सदा (भटकना लगी रहती है, मोह की अँधेरी जकड में फंसे रहते हैं (पता नहीं यह क्यों इस तरह कुराहे पड़े रहते हैं)। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक! कह जिस मनुख पर प्रभु दयावान होता है, उस को गुरु मिल जाता है (और, गुरु उस की) बाँह पकड़ के (उस को अँधेरे कूएँ से बहार) निकाल लेता है।2।10।96।

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