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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 26 जुलाई 2024

सलोकु मः ३ ॥ वाहु वाहु आपि अखाइदा गुर सबदी सचु सोइ ॥ वाहु वाहु सिफति सलाह है गुरमुखि बूझै कोइ ॥ वाहु वाहु बाणी सचु है सचि मिलावा होइ ॥ नानक वाहु वाहु करतिआ प्रभु पाइआ करमि परापति होइ ॥१॥

कोई (एकाध) गुरमुख समझता है की ‘वाह वाह’ कहना परमात्मा की सिफत सलाह करनी है, वेह सच्चा प्रभु खुद ही सतगुरु के शब्द के द्वारा (मनुख से ) ‘वाह वाह’ कहलवाता है ( भाव, सिफत सलाह करवाता है) परमात्मा की सिफत सलाह की बानी परमात्मा का रूप है, (इस से ) परमात्मा से मिलन होता है। हे नानक! (प्रभु की) सिफत-सलाह करते हुए परमात्मा प्राप्त हो जाता है; (परन्तु यह सिफत सलाह ) प्रभु की मेहर से ही प्राप्त होती है ।१।

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