Shani Pradosh Vrat: शनिवार का दिन शनिदेव के नाम होता है इस दिन शनिदेव की पूजा कर भक्त अपने पापों से मुक्ति प् सकता है। लेकिन आज ये दिन और भी खास है क्योकि आज शनि प्रदोष व्रत है दरअसल शनिवार को पड़ने के वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। सभी भक्तों को बता दें कि ये व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है क्योंकि इस व्रत में भगवान शिव और शनिदेव दोनों की पूजा अर्चना की जाती है। इस बार प्रदोष व्रत की पूजा परिघ योग में बन रही है और प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। इतना ही नहीं ये व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी रखा जाता है। तो चलिए जानते है कि शनि प्रदोष मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र…
पूजन का समय: भक्तों को बता दें कि पूजन के लिए भक्तों को शाम 6 बजकर 43 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 59 मिनट तक का समय मिलेगा।
शनि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त : भाद्रपद माह की इस तिथि का शुभारंभ 31 अगस्त को रात 2 बजकर 25 मिनट से होगा, जो अगले दिन 1 सितंबर की रात 3 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगा।
शनि प्रदोष व्रत का पारण: 1 सितंबर को सुबह 05:59 बजे के बाद
शनि प्रदोष व्रत विधि:
– शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करें जिसके बाद भगवान शिव और शनिदेव के पूजा का संकल्प लें।
– इसके बाद आप मंदिर में या घर में पूरे श्रद्धा भाव के साथ भगवान की पूजा करें।
– पूजा की शुरूआत गंगाजल अभिषेक से करें।
– इसके बाद शिवलिंग पर हिन्दू धर्म के अनुसार शिव के प्रिय चीज़ो को चढ़ाए।
– जैसे कि अक्षत, बेलपत्र, चंदन, फूल, भांग, धतूरा, नैवेद्य, शहद, धूप और दीप अर्पित करें।
– इसके साथ ही ओम नम: शिवाय का उच्चारण भी करें।
– आप शिव चालीसा का भी पाठ करें और शनि प्रदोष व्रत कथा भी सुनें।
– समापन आप कपूर या फिर घी के दीपक से शिव जी की आरती करें।
– अंत में शिव जी से संतान प्राप्ति के लिए आशीर्वाद लीजिए।
– उसके बाद व्रत किए भक्तों को पूरा दिन फलाहार पर रहें।