जम्मू: आर्ट ऑफ लिविंग की जम्मू-कश्मीर इकाई के संयोजक अजय कपूर ने गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के एक संदेश को जम्मूकश्मीर इकाई के सदस्यों को सुनाया है और कहा है कि गुरुदेव कहते हैं कि प्रत्येक जीवित प्राणी सुखी रहना चाहता है, चाहे वह धन, शक्ति या इन्द्रिय सुख हो, तुम इसमें सुख के लिए लिप्त होते हो। कुछ व्यक्ति दु:ख से भी आनन्द प्राप्त करते है क्योंकि इससे उन्हें प्रसन्नता मिलती है। सुखी रहने के लिए हम किसी वस्तु की खोज करते हैं परन्तु उसे प्राप्त करने के बाद भी हम सुखी नहीं रहते हैं। एक व्यक्ति का पूरा जीवन भविष्य में कभी प्रसन्न व सुखी रहने की तैयारी करने में बीत जाता है।
यह उसी तरह से है कि हम रात भर बिस्तर सजाने की तैयारी करते रहे, पर सोने के लिए समय न मिले। आन्तरिक रूप से प्रसन्न होने के लिए हमने अपने जीवन के कितने मिनट, घण्टे या दिन बिताए है। केवल वहीं वे क्षण हैं जिनमें आपने अपने जीवन को सही मायने में जिया है। गुरुदेव कहते हैं कि जीवन को देखने के दो तरीके हैं। पहला यह कि किसी एक उद्देश्य की प्राप्ति के पश्चात मैं सुखी होऊंगा। दूसरा यह कि जो भी हो, मैं सुखी हू। तुम इनमें से किस तरह से जीना चाहते हो।
जीवन 80 प्रतिशत आनन्द है और 20 प्रतिशत दु:ख है, लेकिन हम उस 20 प्रतिशत को पकड़ कर बैठ जाते हैं और उसे 200 प्रतिशत बना लेते है। यह जान बूझ कर नहीं होता है, बस केवल हो जाता है। आनन्द, सजगता, सतर्कता और दया के क्षणों में जीना दिव्यता की प्राप्ति है। बच्चे की तरह रहना दिव्यता है। यह अपने अन्दर से मुक्त होना तथा प्रत्येक से बिना किसी संकोच के सहज रहना है। दूसरे तुम्हारे बारे में क्या सोचते हैं, इस बारे में मत सोचो और इसके अनुसार निर्णय मत करो। वे जो कुछ भी सोचते हैं, वह स्थायी नहीं है।