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आज है पौष पूर्णिमा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में

आज पौष पूर्णिमा तिथि है। इस दिन सबसे पहले सुबह उठ कर स्नान करते है और उसके बाद सूर्य देव जी को जल अर्घ्य देने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करते है। मान्यता यह है कि इस दिन रात के समय मां लक्ष्मी जी और चंद्रमा की पूजा करते है। माना जाता है.

आज पौष पूर्णिमा तिथि है। इस दिन सबसे पहले सुबह उठ कर स्नान करते है और उसके बाद सूर्य देव जी को जल अर्घ्य देने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करते है। मान्यता यह है कि इस दिन रात के समय मां लक्ष्मी जी और चंद्रमा की पूजा करते है। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख शांति मिलती है। आइए जानते है पौष पूर्णिमा व्रत के शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि के बारे में:

पौष पूर्णिमा व्रत 2023 मुहूर्त
पौष पूर्णिमा तिथि की शुरूआत: 06 जनवरी, शुक्रवार, 02:14 एएम से
पौष पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 07 जनवरी, शनिवार, प्रात: 04:37 एएम पर
ब्रह्म योग: प्रात:काल से लेकर सुबह 08:11 बजे तक
इंद्र योग: सुबह 08:11 बजे से अगली सुबह तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: रात 12:14 ए एम से कल सुबह 07:15 एएम तक
पौष पूर्णिमा का चंद्रोदय: ठीक शाम 05:00 बजे

माता लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त
निशिता पूजा मुहूर्त: रात 12:00 बजे से देर रात 12:54 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: रात 09:03 बजे से रात 10:45 बजे तक

पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान और दान के बाद व्रत रखें और दिनभर फलाहार पर रहें. दिन के समय में सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन और पूजन करें. इससे सुख और शांति में वृद्धि होगी.

2. अब रात्रि के समय में माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करें. माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना करके उनको लाल गुलाब, कमल का फूल, कमलगट्टा, पीली कौड़ियां, अक्षत्, धूप, दीप आदि अर्पित करके पूजन करें.

3. माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं. यदि बताशा या दूध से बनी कोई सफेद मिठाई है तो उसका भोग लगाएं.

4. अब आप श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें. कनक धारा स्तोत्र पढ़ें. इससे अपार धन प्राप्ति का योग बनता है. पूजा के बाद माता लक्ष्मी से धन, संपत्ति प्रदान करने और सुख-समृद्धि का वरदान देने की प्रार्थना करें.

5. इसके बाद आप चांदी के गिलास में दूध और जल लेकर उसमें अक्षत् डाल दें. फिर उससे चंद्रमा को अर्घ्य दें और पूजन करें. इससे चंद्र दोष दूर होगा, मानसिक शांति मिलेगी. बुद्धि स्थिर होगी और माता के साथ रिश्ते मधुर रहेंगे.

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