16 अप्रैल को है वरुथिनी एकादशी व्रत, दुःख दूर होने के साथ होगी मोक्ष की प्राप्ति

कल यानि के 16 अप्रैल दिन रविवार को वरूथिनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु जी अपने भक्तों के दुःख दूर करते है। इस व्रत को रखने से सोभाग्य भी प्रदान होता है। आइए जानते.

कल यानि के 16 अप्रैल दिन रविवार को वरूथिनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु जी अपने भक्तों के दुःख दूर करते है। इस व्रत को रखने से सोभाग्य भी प्रदान होता है। आइए जानते है इस व्रत के महत्व के बारे में:

वरूथिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, बात उस समय की है जब नर्मदा नदी के तट पर राजा मांधाता का अपने राज्य पर शासन था. वह अपने प्रजा का पालन अच्छे करते थे और धर्म कर्म के कार्यों में रूचि रखते थे. वे धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. एक दिन वह जंगल में गए और तपस्या करने लगे. कुछ समय बाद ही वहां पर एक भालू आ गया. राजा इस बात से अनभिज्ञ थे. वे तपस्या में लीन थे.

तभी भालू ने उन पर हमला कर दिया और उनका पैर पकड़ कर उनको घसीटने लगा. वे भगवान के तप में लीन रहे. उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया. वे शांत बने रहे और श्री हरि विष्णु से मन ही मन ध्यान करके रक्षा करने की प्रार्थना करने लगे. इस दौरान वह भालू उनको घसीटकर जंगल के अंदर लेकर चला गया.

राजा मांधाता की पुकार सुनकर भगवान विष्णु दौड़े चले आए. उन्होंने चक्र के प्रहार से भालू का गर्दन काट दिया और राजा मांधाता के प्राणों की रक्षा की. भालू ने राजा मांधाता का पैर चबा लिया था. इससे राजा काफी दुखी थे. तब भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि यह तुम्हारे पिछले जन्मों के कर्मों का फल है. तुम चिंतित न हो. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी के दिन मथुरा में उनके वराह स्वरूप की पूजा करो. तुमको फिर से एक बार नया शरीर प्राप्त होगा.

भगवान की आज्ञा मानकर राजा मांधाता वरूथिनी एकादशी के दिन मथुरा पहुंचे और भगवान के बताए अनुसार व्रत रखकर उनके वराह स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा की. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से राजा मांधाता को नया शरीर प्राप्त हुआ, जिससे वे काफी प्रसन्न हुए. वे सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे. जीवन के अंत में उनको स्वर्ग की प्राप्ति हुई.

जो भी व्यक्ति वरूथिनी एकादशी व्रत करता है, उसे पूजा के समय यह व्रत कथा सुननी चाहिए. इससे उसके पाप मिट जाते हैं और पुण्य प्राप्त होता है.

वरूथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त 2023
वरूथिनी एकादशी पूजा मुहूर्त: सुबह 07:32 एएम से दोपहर 12:21 पीएम तक
वरूथिनी एकादशी पारण समय: 17 अप्रैल, सुबह 05:54 एएम से सुबह 08:29 एएम तक

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