लखनऊ : यूपी बोर्ड की परीक्षाएं बुधवार को पूरी पारदर्शिता और नकल विहीन माहौल में संपन्न हो गईं। परीक्षा के दौरान नकल के मामलों में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गई। यदि 2020 से तुलना करें, तो 2025 में नकल के मामलों में अभूतपूर्व गिरावट देखी गई है। 2020 में 760 परीक्षार्थी नकल करते पकड़े गए थे, जबकि 2022 में यह संख्या घटकर 190 रह गई। 2023 में केवल 127 मामले सामने आए, वहीं 2024 में यह आंकड़ा मात्र 48 रह गया। 2025 में यह संख्या और घटकर केवल 30 पर आ गई, जो ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा सकती है।
फर्ज़ी परीक्षार्थियों पर भी कड़ा नियंत्रण
अधिकृत सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि फर्ज़ी परीक्षार्थियों पर भी कड़ा नियंत्रण बना रहा। सरकार ने ऐसे मामलों पर भी सख्त शिकंजा कसा, जहां कोई अन्य व्यक्ति परीक्षार्थी के स्थान पर परीक्षा देता था। 2020 में ऐसे 108 मामले सामने आए थे, जबकि 2022 में यह घटकर 47 रह गए।
2023 में 133, 2024 में 37 और 2025 में केवल 49 मामले दर्ज किए गए, जो दर्शाता है कि प्रशासन इस पर लगातार अंकुश लगाने में सफल हो रहा है। उन्होने बताया कि भाजपा सरकार से पहले परीक्षा केंद्रों के बाहर उत्तर पुस्तिकाएं लिखने के मामले आम थे, लेकिन अब इन पर लगभग पूरी तरह से रोक लग चुकी है। 2020 में ऐसे सात मामले सामने आए थे, जबकि 2022 में यह घटकर दो रह गए। 2023 और 2024 में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ, और 2025 में भी केवल दो मामले सामने आए।
सरकार ने नकल माफिया पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रश्न पत्र लीक रोकने के लिए विशेष कानून बनाए और परीक्षा प्रणाली को मजबूत किया। 2020 और 2022 में एक-एक प्रश्न पत्र लीक होने की घटना सामने आई थी। 2023, 2024 और 2025 में एक भी प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ, जो सरकार के मजबूत प्रशासनिक नियंत्रण को दर्शाता है।
2020 में हुआ था मामला दर्ज
सूत्रों ने दावा किया कि प्रश्न पत्रों के गलत तरीके से खोलने पर भी अंकुश लगा। सरकार की सख्ती से परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्न पत्र खोलने के मामलों में भी पूरी तरह से नियंत्रण पाया गया। 2020 में सिर्फ एक मामला दर्ज हुआ था, लेकिन इसके बाद 2022, 2023, 2024 और 2025 में एक भी मामला सामने नहीं आया। उन्होने बताया कि 2017 से पहले यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में भारी संख्या में नकल और धांधली के मामले सामने आते थे, लेकिन योगी सरकार की तत्परता से इन मामलों पर पूरी तरह रोक लगाई गई।
अब यूपी बोर्ड की परीक्षाएं न केवल निष्पक्ष हो गई हैं, बल्कि यह पूरे देश के लिए परीक्षा सुधार का एक आदर्श मॉडल बन गई हैं। प्रदेश सरकार द्वारा किए गए सख्त प्रबंधन, कानून व्यवस्था और आधुनिक तकनीकों के उपयोग ने यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति हो तो नकल मुक्त परीक्षा कराना संभव है।