एंटरटेनमेंट डेस्क: तेलुगु सिनेमा से बॉलीवुड तक अपनी एक अलग पहचान बना चुके विजय देवरकोंडा आज के समय में सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक भावना बन चुके हैं। उनकी हर परफॉर्मेंस में जुनून, उनकी आंखों में एक कहानी और उनके किरदारों में वो सच्चाई होती है जो सीधे दिल को छू जाती है। खासकर जब बात रोमांस की हो, तो विजय का नाम सबसे पहले लिया जाता है। आज, उनके जन्मदिन के मौके पर हम उनके उन किरदारों को याद कर रहे हैं जिन्होंने भारतीय रोमांटिक सिनेमा की परिभाषा बदल दी।
अर्जुन रेड्डी:
विजय देवरकोंडा को रातों-रात स्टार बनाने वाली यह फिल्म सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि एक जुनूनी आत्मा की कथा थी। डॉ. अर्जुन रेड्डी के किरदार में विजय ने टूटे दिल और आक्रोश से भरे प्रेमी को इतनी सच्चाई से जिया कि दर्शक खुद को उसके दर्द से जोड़ बैठे। यह किरदार आज भी विजय के अभिनय करियर का सबसे चर्चित और प्रतिष्ठित प्रदर्शन माना जाता है।
गीता गोविंदम:
‘अर्जुन रेड्डी’ की तीव्रता के बाद ‘गीता गोविंदम’ में विजय एक पूरी तरह विपरीत रंग में नजर आए। विजय गोविंदम – एक शालीन, सौम्य और दिल से रोमांटिक किरदार जिसने यह साबित किया कि प्यार की ताकत चीखने-चिल्लाने में नहीं, बल्कि सम्मान और सच्चाई में है। यह किरदार खासकर युवाओं में बेहद लोकप्रिय हुआ।
डियर कॉमरेड:
‘डियर कॉमरेड’ में विजय ने बॉबी के किरदार के ज़रिए सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि भावनात्मक परिपक्वता और आत्म-संशोधन की कहानी कही। रश्मिका मंदाना के साथ उनकी केमिस्ट्री ने इस फिल्म को एक अलग ही ऊंचाई दी। यहां उनका प्रेमी अवतार कमजोर भी था, जिद्दी भी, और सबसे ज़रूरी – असली था।
वर्ल्ड फेमस लवर:
इस फिल्म में विजय ने अपनी अभिनय प्रतिभा की सीमाओं को और आगे बढ़ाया। चार अलग-अलग किरदारों में, चार अलग-अलग प्रेम कहानियों को जीते हुए उन्होंने यह दिखाया कि हर प्रेमी एक जैसा नहीं होता – कुछ टूटे होते हैं, कुछ टूटने को तैयार। उनकी परफॉर्मेंस ने भावनाओं की विविधता को एक स्क्रीन पर बिखेर दिया।
टैक्सीवाला से कुशी तक:
जहां ‘टैक्सीवाला’ में विजय का किरदार रोमांचक अलौकिक कथा के बीच प्रेम का हल्का स्पर्श लाता है, वहीं ‘कुशी’ में वह एक ऐसा प्रेमी है जो रिश्तों की जटिलताओं और आधुनिक सोच के द्वंद्व से जूझता है। सामंथा के साथ उनकी केमिस्ट्री ने इसे एक यादगार रोमांटिक जोड़ी बना दिया।
द्वारका:
‘द्वारका’ में विजय ने दर्शाया कि प्रेम सिर्फ गंभीरता में नहीं होता, कभी-कभी हास्य और परिस्थिति की विडंबनाओं के बीच भी गहराई से उपजता है। एक मासूम ठग से देवता समझे जाने वाले पात्र के रूप में उन्होंने रोमांस को एक अलग ही रंग दिया।