एंटरटेनमेंट डेस्क: सिनेमा तब जादू बनता है जब वह न केवल आंखों को चकाचौंध करता है, बल्कि दिल को भी छूता है। निर्देशक प्रिंस धीमान की आगामी ऐतिहासिक फिल्म ‘केसरी वीर’ कुछ ऐसा ही अनुभव देने का वादा करती है। एक ऐसी कहानी जो इतिहास की धूल में दब गई थी, अब बड़े परदे पर शान से जीवित हो उठेगी।
यह फिल्म 14वीं सदी के गुजरात के योद्धा हमीरजी गोहिल की असाधारण वीरता की कहानी है, जिन्होंने आक्रमणकारियों से सोमनाथ मंदिर की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की थी। मगर इसे सिर्फ एक युद्ध गाथा कहना गलत होगा। यह अस्मिता, संस्कृति और आत्मबल की महागाथा है और शायद यही बात इसे अन्य ऐतिहासिक फिल्मों से अलग बनाती है।
#भव्यता जो CGI से नहीं, जज़्बे से बनी है
जहाँ आजकल की फिल्मों में VFX और ग्रीन स्क्रीन का बोलबाला है, वहीं ‘केसरी वीर’ ने प्रामाणिकता को प्राथमिकता दी है। 500 असली घोड़ों और 1,000 से अधिक प्रशिक्षित स्थानीय लोगों के साथ फिल्माए गए युद्ध दृश्य दर्शकों को समय में पीछे ले जाते हैं। फिल्म की शूटिंग भुज, जूनागढ़ और मांडू जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर की गई है — जिससे सेट नहीं, बल्कि सजीव इतिहास पर्दे पर उतरता है। निर्देशक धीमान कहते हैं, “हम कोई झूठा भव्य दृश्य नहीं बनाना चाहते थे। यह हमारे इतिहास का सम्मान हैऔर हमने हर दृश्य में उसे निभाया है।”
#पसीने से सनी परछाइयाँ और सूरज के नीचे की नायकी
तापमान जब 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा, तब भी फिल्म की टीम झुकी नहीं। युद्ध दृश्य तैयार करना केवल तकनीकी नहीं था। वह भावनात्मक परीक्षा भी थी। घोड़ों को मारवाड़ से लाकर महीनों तक प्रशिक्षित किया गया, ताकि वे कैमरे के सामने सैन्य अनुशासन में नजर आएं। धीमान मानते हैं कि “घोड़े स्क्रिप्ट नहीं पढ़ते, लेकिन हमारे पास जुनून था जो इंसान और जानवर दोनों तक पहुंचा।”
#एक क्षेत्रीय कहानी, जो राष्ट्रीय पहचान बनने जा रही है
हालांकि फिल्म गुजरात के एक योद्धा की कहानी है, लेकिन इसे भारत की कई भाषाओं में रिलीज़ किया जा रहा है। यह इस बात का प्रतीक है कि क्षेत्रीय इतिहास भी राष्ट्रीय गौरव बन सकता है। सुनील शेट्टी, विवेक ओबेरॉय, सोराज पंचोली और आकांक्षा शर्मा जैसे सितारों की मौजूदगी इसे एक अखिल भारतीय अपील देती है। निर्माता कनु चौहान कहते हैं, “यह फिल्म सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं है, यह एक मिशन है हमारे पुरखों की गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का।
#क्या बन सकती है ‘केसरी वीर’ एक नई सिनेमाई परंपरा की शुरुआत
ऐसे समय में जब सिनेमा अक्सर कल्पनाओं की उड़ान भरता है, केसरी वीर जैसी फिल्में उस जमीन से जुड़ने की याद दिलाती हैं, जहां हमारी जड़ें हैं। यह फिल्म न केवल एक योद्धा की कहानी कहती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जब सिनेमा ईमानदारी, मेहनत और उद्देश्य से बनाया जाए। तब वह इतिहास से भी बड़ा बन सकता है।