‘Kingdom of the Planet of the Apes’ Movie Review : मूवी दृश्यात्मक रूप से अद्भुत एवं एक शहजादे की है हुंकार

2024 की 'किंगडम ऑफ द प्लेनेट ऑफ द एप्स' को बहुत प्रशंसा मिलीवेस बॉल द्वारा निर्देशित, यह एंडी सर्किस की त्रयी को आगे बढ़ाती है।

मुंबई : किंगडम ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स दृश्यात्मक रूप से अद्भुत है, इसमें विश्व निर्माण की शानदार क्षमता है तथा इसका अंत भी शानदार है। 2024 की ‘किंगडम ऑफ द प्लेनेट ऑफ द एप्स’ को बहुत प्रशंसा मिलीवेस बॉल द्वारा निर्देशित, यह एंडी सर्किस की त्रयी को आगे बढ़ाती है। फिल्म को एक महाकाव्य गाथा की नई शुरुआत माना जाता हैं। यह फिल्म 2017 में आई ‘वॉर फॉर द प्लैनेट ऑफ द एप्स’ की अगली कड़ी है, जहां लंगूरों के नेता सीजर (एंडी सर्किस) की मौत के कई पीढ़ियों बाद लंगूर छोटी-छोटी टुकड़ियों में रह रहे हैं। ऐसी ही एक टुकड़ी में नोआ (ओवेन टीग) अपने परिवार और प्यार सूना (लिडिया पेकहम) के साथ रहता है। नोवा बहादुर, मूल्यों को मानने वाला दयालु लंगूर है, मगर एक दिन उसकी वजह से सत्ता का भूखा और खुद को सीजर का उत्तराधिकारी कहने वाला मास्क वाला लंगूर प्रॉक्सिमस (केविन डुरंड) नोवा के घर पर हमला कर देता है। वह पूरे इलाके को जला देता है, उसके पिता कोरो (नील सैंडिलैंड्स) की हत्या कर देता है और बाकी लंगूरों को बंधक बना लेता है।

नोवा अपने पिता से वादा करता है कि वह अपनी टुकड़ी को वापस लाएगा और यहां से उसका सफर शुरू होता है। इस सफर में उसे एक इंसान मे (फ्रेया एलन) और बुद्धिमान ओरांगउटान राका (पीटर मैकॉन) मिलते हैं। राका उसे सीजर की असली सीख के बारे में बताता है तो पहले नोवा पर भरोसा न करने वाली मे बाद में उसे उसकी टुकड़ी तक पहुंचाती है। मे उसे बताती है कि इंसानों के बनाए वायरस के कारण लंगूर जहां ताकतवर और बुद्धिमान हो गए, वहीं इंसान बेजुबान और कमजोर। मे अपने लोगों की आवाज वापस लौटाना चाहती है। अब नोवा और मे अपने मकसद में कामयाब होते हैं या नहीं? यह फिल्म देखकर पता चलेगा।

इंसानों ने अपने स्वार्थ के लिए जानवरों के घर उनके जंगल काट डाले, उन्हें हमेशा अपने कब्जे में करने की कोशिश की, मगर क्या हो जब जानवर इंसानों के घर में घुस जाए। जब जानवरों के दबदबे के आगे इंसान बेबस हो जाए। हॉलीवुड की हिट फ्रेंचाइजी ‘प्लैनेट ऑफ द एप्स रीबूट’ की चौथी कड़ी ‘किंगडम ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स’ इसका एक अक्स पर्दे पर दर्शाती है, जो काफी डरावना है।

‘किंगडम ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स’ मूवी रिव्‍यू

वेस बॉल डायरेक्टेड यह फिल्म कुछ सवालों के जवाब तलाशती है, मसलन, क्या इंसान और जानवर एक दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं? क्‍या ये साथ-साथ रह सकते हैं? हालांकि, फिल्‍म स्क्रीनप्ले के मामले में मात खा जाती है। पटकथा बहुत ही सपाट है। ढाई घंटे लंबी यह फिल्म बीच में बोझिल भी लगती है। वायरस की वजह से लंगूरों के स्मार्ट और इंसानों के बेबस हो जाने की थ्योरी अटपटी लगती है। हालांकि, फिल्म विजुअली काफी आकर्षक है। ग्युला पाडोस की सिनेमेटोग्राफी और विजुअल इफेक्ट्स का कॉम्बिनेशन शानदार है।

सिनेमाई तकनीक की उत्कृष्टता के साथ साथ फिल्म ‘किंगडम ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स’ इसके निर्देशक वेस बॉल की इंसानी जज्बात पर हासिल महारत से भी खूब मदद पाती है। ‘मेज रनर’ सीरीज की तीनों फिल्मों का निर्देशन कर चुके वेस को अपनी काबिलियत की कुछ और करामातें दिखाने का इस फिल्म में अवसर मिला है और इस मौके को उन्होंने दोनों हाथों से भुनाया है। ‘प्लैनेट ऑफ एप्स’ की पिछली फिल्मत्रयी में जो कुछ एंडी सरकिस ने खुद से सीखा, वह उन्होंने इस नई फिल्म के कलाकारों को पूरी तल्लीनता से सिखाया है। और, इसी के चलते फिल्म ‘किंगडम ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स’ के सभी कलाकारों के अभिनय में बहुत ही मौलिकता नजर आती है।

दैनिक सवेरा टाइम्स न्यूज और मीडिया नेटवर्क इस फिल्म को 4 स्टार की रेटिंग दे रहा हैं।

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