The Goat Life Movie Review : 16 साल का दर्द…रोंगटे खड़े करने वाली कहानी, पृथ्वीराज की एक्टिंग ने किया सबकाे दिवाना

The Goat Life फिल्म को बनाने में 16 साल लगे हैं और फिल्म देखकर आप 16 साल का दर्द महसूस भी करते हैं।

मुंबई : कुछ फिल्में सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर 500 या 600 करोड़ बनाने के लिए ही नहीं होती, ताे कुछ फिल्में सिर्फ अवॉर्ड्स के लिए ही नहीं होती, तारीफ के लिए ही नहीं होती, बल्कि इसलिए होती हैं कि अच्छे सिनेमा में भरोसा कायम रहे, ये यकीन रहे कि शानदार फिल्में अब भी बनती हैं, ये सनद रहे कि एक्टिंग का मापदंड अभी भी काफी ऊंचा है, The Goat Life फिल्म को बनाने में 16 साल लगे हैं और फिल्म देखकर आप 16 साल का दर्द महसूस भी करते हैं।

ये फिल्म साल 2008 में आए Benyamin के नॉवेल aadujeevitham पर आधारित है और सच्ची घटना पर आधारित है, साल 2008 में ही जब ब्लेसी ने ये नॉवेल पढ़ा तो इसपर फिल्म बनाने का सोचा, लेकिन कई दिक्कतों के बाद ये फिल्म अब बन पाई है, ये कहानी है नजीब नाम के शख्स की जो मजदूरी करने सऊदी जाता है और वहां एक बूचड़खाने में फंस जाता है जहां उसे बकरियों की देख रेख करने का काम करना पड़ता है, वो कैसे वहां से बचता है, यही इस फिल्म में दिखाया गया है।

ये फिल्म हिला डालती है, किसी दूसरे देश में जब कोई फंस जाता है तो उसके साथ क्या कुछ हो सकता है, वो इस फिल्म में जिस तरह से दिखाया गया है वो आपको हिला डालता है, आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या अपना देश छोड़कर जाना चाहिए, पहला हाफ अच्छा है, फिल्म मुद्दे पर आती है लेकिन दूसरे हाफ में जो होता है वो आप देख नहीं पाते, पानी की एक बूंद के लिए तरसते लोग, जानवरों के बीच जानवरों की तरह रहते इंसान, ये सब देखकर आपको यकीन नहीं होता कि ऐसा भी होता हैं। विदेशियों की भाषा समझ नहीं आती, लेकिन शायद जो दर्द नजीब महसूस करता है वो दर्द डायरेक्टर आपको भी महसूस कराना चाहता है, इसलिए वहां सब टाइटल नहीं डाले गए। फिल्म आपको उस दर्द को बड़े अच्छे से महसूस करा देती है, ये यकीन दिला देती है कि शानदार सिनेमा अब भी बन सकता है, बनाने वाला चाहिए, फिल्म की एक कमी ये है कि फिल्म थोड़ी लंबी लगती है, लगता है थोड़ी कट सकती हैं।

इस फिल्म के कलाकार पृथ्वीराज सुकुमारन, जिमी जीन लुइस, केआर गोकुल, अमला पाल, तालिब अल बलुशी हैं। ब्‍लेस्‍सी ने इस फिल्म को लिखा है और डायरेक्ट किया है और कहना होगा कि वो इस फिल्म की आत्मा हैं, ब्‍लेस्‍सी ने इस किरदार के दर्द को जिस तरह से दिखाया है वो एक शानदार डायरेक्टर ही दिखा सकता है, ब्‍लेस्‍सी ने एक एक फ्रेम पर जिस तरह की मेहनत की है वो काबिले तारीफ है। अच्छा सिनेमा देखना चाहते हैं तो ये फिल्म जरुर देखने जाएं।

दैनिक सवेरा टाइम्स न्यूज़ एवं मीडिया नेटवर्क इस फिल्म को इसके बेहतर निर्देशन के लिए 4 रेटिंग स्टार देती है

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