World Theatre Day 2025: एंटरटेनमेंट डेस्क: रविन्द्र भगत ने विश्व रंगमंच दिवस के खास मौके पर बताया कि ये दिन पूरी दुनिया में 27 मार्च को मनाया जाता है। विश्व रंगमंच की शुरुआत इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट की तरफ़ से 1961 में की गई थी। भरतमुनि जी ने अपने नाट्यशास्त्र में नाट्य शब्द का प्रयोग केवल नाटक के रूप में न करके व्यापक अर्थ में किया है। जिसके अंतर्ग्रत रंगमंच, अभिनय, नृत्य, संगीत, रस, वेस भूषा, रंगशिल्प, दर्शक आदि सभी पक्ष आ जाते है। नौटंकी, रासलीला, रामलीला, स्वांग, नक़ल, तमाशा आदि लोकप्रिय लोक नाटक है।
– जानिए कौन हैं रविन्द्र भगत
रविन्द्र भगत स्कूल के समय से ही थिएटर /रंगमंच से जुड़े हुए है। फिर शहर के DAV college की तरफ़ से कपिल शर्मा के निर्देशन में रंगमच की बारिकीया सीखी और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में यूथ फेस्टिवल के माध्यम से थिएटर से जुड़े रहे। रविंदर भगत का कहना है कि मुझे इस बात का गर्व महसूस होता है कि जिस DAV कॉलेज में वह पढ़े और रंगमंच की बारीकियां सीखी आज पिछले कई वर्षो से उसी DAV कॉलेज में बच्चो को रंगमंच सीखा रहे है।
इसके साथ-साथ आज़ाद थिएटर ग्रुप और शहर के कई कॉलेजों में रंगमंच के माध्यम से नई युवा पीढ़ी को अपने लिखे और निर्देशित नाटकों से रंगमंच से जोड़ रहे है। बहुत से हिंदी और पंजाबी नाटकों में अभिनय करने के साथ साथ अपने लिखे नाटक निर्देशित भी कर चुके है जिनका अलग -अलग शहरों में मंचन हो चूका है। जिनमे ‘वेहरा शगना दा’, ‘नया शंख’, बेबी, ‘इश्क़ आप वी आवला, इसदे कम वी अवले कुछ नाटक है।
रविंदर भगत रंगमंच को जीवन का असली स्वरूप मानते है जहाँ इंसान जीवन के हर पहलू के भाव को महसूस करता है और हर भावना को स्टेज पर जीता है। जिसमे अभिनेता अपने आप को भूल कर किसी दूसरे का किरदार निभाता है और ऑडिटोरियम में बैठे लोगो को अपने अभिनय के भाव को उनमे उतार देता है।
क्योकि इसमें फिल्मो की तरह कप्म्यूटर से बने सीन /विसुअल दर्शको को नहीं दिखाए जाते बल्कि असली अभिनय, नृत्य, संगीत, रस, वेस भूषा, रंगशिल्प देखने को मिलती है। रविन्द्र भगत उनका मानना है कि आज थिएटर /रंगमंच से अभिनय सीख कर युवा पीढ़ी फ़िल्म इंडस्ट्रीज तक पहुँच चुकी है जो अपने अभिनय से दृशको को जोड़े रखती है।