कैनबरा : ऑस्ट्रेलियाई नागरिक संसद में आदिवासी समुदायों के विचारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक संघीय सलाहकार निकाय ‘इंडीजिनस वॉयस टू पार्लियामेंट’ बनाने को प्रस्तावित कानून पर जनमत संग्रह के तहत 14 अक्टूबर को मतदान करेंगे। यह 1999 के बाद से ऑस्ट्रेलिया में पहला जनमत संग्रह होगा। देश में 1977 के बाद से जनमत संग्रह के तहत किसी भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने बुधवार को जनमत संग्रह की तारीख की घोषणा की। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के आक्रामक प्रचार अभियान के छह सप्ताह से अधिक समय बाद जनमत संग्रह की तारीख घोषित की गई है।
यह जनमत संग्रह संविधान में ‘इंडीजिनस वॉयस टू पार्लियामेंट’ को एक स्थायी जगह देगा। इस निकाय का उद्देश्य देश के सबसे वंचित जातीय अल्पसंख्यकों को सरकारी नीतियों पर अधिक अधिकार देना है। अल्बनीज ने लोगों से इसके पक्ष में वोट देने का अनुरोध किया। मतदान पूर्व सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया की 80 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी (एबॉरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोग) इसके पक्ष में मतदान करेंगे। इस प्रस्तावित कानून के पक्षकारों का कहना है कि इससे आदिवासियों को सरकारी नीतियों में अधिक अधिकार मिलेगा, जिससे उनका कम शोषण होगा।
वहीं, विरोधियों का तर्क है कि अदालतें ‘वॉयस’ की संवैधानिक शक्तियों की अप्रत्याशित तरीकों से व्याख्या कर सकती हैं, जिससे कानूनी अनिश्चितता पैदा हो सकती है।