एक बार फिर कोरोना वायरस स्रोत के सवाल का राजनीतिकरण करने में जुटा America

कुछ दिनों से अमेरिका फिर कोरोना वायरस स्रोत के सवाल का राजनीतिकरण करने लगा है । वाल्स्ट्रीट अख़बार ने पहले अमेरिकी ऊर्जा विभाग की एक गोपनीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कोविड-19 वायरस को चीन के प्रयोगशाला से आकस्मित रूप से रिसने की बड़ी संभावना है ।इस के बाद मुख्य अमेरिकी मीडिया ने.

कुछ दिनों से अमेरिका फिर कोरोना वायरस स्रोत के सवाल का राजनीतिकरण करने लगा है । वाल्स्ट्रीट अख़बार ने पहले अमेरिकी ऊर्जा विभाग की एक गोपनीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कोविड-19 वायरस को चीन के प्रयोगशाला से आकस्मित रूप से रिसने की बड़ी संभावना है ।इस के बाद मुख्य अमेरिकी मीडिया ने इस के बारे में बढ़ा चढ़ा कर रिपोर्टिंग करना शुरू किया ।फिर चीन स्थित अमेरिकी राजदूत और संघीय जांच ब्यूरो के निदेशक ने भी इसी तरह की बात कह कर चीन पर कलंक लगाने की चेष्टा की । ध्यान रहे वर्ष 2021 में अमेरिकी सरकार ने सूचना विभाग को 90 दिन के अंदर तथाकथित कोविड-19 वायरस स्रोत की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया ।अंत में इस रिपोर्ट में शायद और संभावना जैसे शब्द भरे हुए थे और यह एक हास्यास्पद नाटक बन गया ।लेकिन अमेरिका क्यों फिर से इसका तमाशा बना रहा है  ।

स्थानीय निश्लेषकों के विचार में पहले अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी वायरस स्रोत के सवाल का राजनीतिकरण कर चीन के खिलाफ मजबूत रूख दिखाना चाहती है ताकि घरेलू राजनीतिक मुकाबले में लाभ मिले ।दूसरा ,अमेरिकी सरकार अपने शासन की विफलता पर लोगों का ध्यान हटाना चाहती है ।वर्तमान अमेरिका में सामाजिक विभाजन तेज हो रहा है और वित्तीय बाजार की स्थिति भी काफी गंभीर नजर आ रही है । इस तमाशे से चीन के प्रति अमेरिका की बड़ी रणनीतिक चिंता जाहिर हुई है ।शीतयुद्ध मानसिकता और चीन के बारे में गलत समझ से अमेरिका चीन को रणनीतिक स्पर्द्धा का सब से बड़ा प्रतिद्वंद्वी देखता है और चौतरफा तौर पर चीन को दबा रहा है । विश्व भर में अमेरिका के 200 से अधिक सैन्य बायो प्रयोगशालाएं हैं ,जिन पर अंतराष्ट्रीय समुदाय की कई शंकाएं व चिंताएं हैं ।वास्तव में अमेरिका को यथाशीघ्र ही अपनी संबंधित प्रशोगशालाएं खोलकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जांच स्वीकारनी चाहिए ।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप  ,पेइचिंग)     

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