इंटरनेशनल डेस्क : वर्ष 2025 क्वांटम मेकनिक्स के जन्म की 100वीं वर्षगांठ है और क्वंनटम विज्ञान व तकनीक अंतर्राष्ट्रीय वर्ष भी है। लेकिन नये साल के शुरू में अमेरिकी सरकार द्वारा घरेलू व्यक्ति व कंपनी पर चीनी क्वांटम कम्प्यूटिंग समेत प्रगतिशील तकनीकों में निवेश लगाने का नियंत्रण करने की नयी नियमावली प्रभावी हो गयी। विश्लेषकों के विचार में अमेरिका राजनीतिक लाभ की दृष्टि से जानबूझ कर चीन के हाई टेक विकास पर प्रहार कर रहा है। ऐसी कार्रवाई निश्चित ही नाकाम होगी।
चीनी कूटीनीत कॉलेज के प्रोफेसर ली हाईतुंग ने मीडिया को बताया कि वर्तमान में चीन के साथ अमेरिका की प्रतिस्पर्द्धा का रूझान तेजी से बढ़ रहा है, खासकर उच्च व प्रगतिशील क्षेत्र में। अमेरिका कथित राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम से नयी नियमावली लागू कर अग्रिम क्षेत्रों में चीन को नियंत्रित करना चाहता है। इससे चीनी विज्ञान व तकनीक के तेज विकास के प्रति अमेरिकी राजनीतिज्ञों की चिंता प्रतिबिंबित है।
अमेरिका की जीरो एंड सम मानसिकता से इधर कुछ साल चीन अमेरिका विज्ञान व तकनीक सहयोग बड़े उतार-चढ़ाव से गुजरी। अमेरिका निरंतर बाधाएं डाल रहा है और कथित वैज्ञानिक व तकनीकी शीतयुद्ध चला रहा है। पर तथ्यों से साबित है कि अमेरिका की कार्रवाई बेकार है। वर्ष 2023 के अंत तक चीन द्वारा विकसित क्वांटम कम्प्यूटर भारी प्रगति प्राप्त कर विश्व में अग्रसर रहा। चिप्स क्षेत्र में चीन का तेज विकास भी चल रहा है।
उल्लेखनीय बात है कि चीन के क्वांटम बाजार का निवेश मुख्य तौर पर घरेलू उद्यमों से आता है, जिसका अनुपात 3 चौथाई से अधिक है। चीन पर अमेरिका की नयी नियमावली का प्रभाव सीमित है। इसके विपरीत अमेरिका पर गंभीर नुकसान पहुंचेगा। क्योंकि चीन में सम्बंधित अमेरिकी कंपनियों का मुनाफा और बाजार बड़े हद तक घट जाएगा।
आधे महीने के बाद अमेरिका में नयी सरकार आएगी। उम्मीद है कि अमेरिका विवेकतापूर्ण रूप से चीन अमेरिका वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग देखेगा और गलत कार्रवाई ठीक कर चीन के साथ आगे बढ़ेगा। इस तरह चीन और अमेरिका के वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग के फल से दोनों देशों व पूरे विश्व को कल्याण मिलेगा।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)