चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और मां के बीच एक प्रभावित कहानी

हर साल मई महीने का दूसरा रविवार मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है। माताओं को धन्यवाद देने के लिये इस दिवस की स्थापना की गयी। इस रिपोर्ट में हम चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और उनकी मां के बीच एक प्रभावित कहानी बताएंगे। मार्च 1982 से मई 1985 तक, शी चिनफिंग ने चीन के.

हर साल मई महीने का दूसरा रविवार मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है। माताओं को धन्यवाद देने के लिये इस दिवस की स्थापना की गयी। इस रिपोर्ट में हम चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और उनकी मां के बीच एक प्रभावित कहानी बताएंगे।

मार्च 1982 से मई 1985 तक, शी चिनफिंग ने चीन के हपेई प्रांत के शीच्याच्वांग शहर की चंगतिंग काउंटी में सीपीसी समिति के उप-सचिव और सचिव का काम बखूबी संभाला। जहां तक चंगतिंग के औद्योगिक और कृषि उत्पादों की महत्ता तथा किसानों की प्रति व्यक्ति आय दुगनी होने का सवाल है, तो ये तीन वर्ष अनोखे थे, असाधारण थे। शी चिनफिंग ने जब 1985 में चंगतिंग का कामकाज छोड़ा, तो उस समय तक चंगतिंग एक गरीब काउंटी से निकलकर समग्र विकास वाली उन्नत काउंटी बन चुका था। 

अप्रैल 1982 में पार्टी समिति के परिसर में लोग धूप में बैठकर खाना खा रहे थे। उन्होंने देखा कि बिस्तर वगैरह कपड़े सुखाने वाली रस्सी पर लटकाये जा रहे हैं। सब लोग इर्द-गिर्द जमा हो गये। लोग बदरंग हो चुकी हरे रंग वाली फौज की छोटी सी रजाई और दरी को गौर से देख रहे थे। दरी पर निगाहें कुछ ज्यादा चिपकी हुई थीं। सब उस दरी पर लगे “पैवंदों”को टकटकी लगाये देख रहे थे। ये पैवंद कई रंगों के थे त्रिभुजाकार थे और सूरज की रोशनी में उभरकर दिखाई दे रहे थे। किसी ने मन ही मन “पैवंदों”को गिना, तो वे लगभग 50 निकले। लोग कानाफूसी करने लगे और उन्हें पता चला कि ये रजाई व दरी तो शी चिनफिंग की है। 

एक कर्मचारी की मंशा थी कि इसे बदलकर मेहमानखाने से नई रजाई ले आया जाया, लेकिन शी ने उसे रोक दियाः “इसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है। मुझे इस रजाई में आराम मिलता है। यह थोड़ा छोटी जरूर है, लेकिन फौजी कोट भी है, जिसे दिन में पहन लो और रात में पांव पर डाल लो। मजा आ जाता है।”शी चिनफिंग ने उस रजाई का किस्सा सुनाते हुए बताया कि ये रंगीन पैवंद उनकी मां ने घर के पुराने कपड़ों को काटकर सिले थे। पंद्रह साल की उम्र से यह रजाई उनके साथ है। जब वे दूर-दराज स्थित शैनशी में ल्यांगच्याह गये थे, तब भी इसे साथ ले गये थे। “मैं इससे बहुत जुड़ा हुआ हूं,” उन्होंने कहा।

चीन की एक पुरानी कविता में ऐसा लिखा हुआ है कि माँ अपने हाथ में सूती धागे का उपयोग अपने बच्चे के कपड़े सिलने के लिए करती हैं। हर सूती धागे में दूर-दराज जगह जाने वाले बच्चे के जल्द से जल्द घर वापस लौटने की आशा छिपी हुई है। शी चिनफिंग की इस रज़ाई में भी उनकी मां का गहरा प्यार छिपा हुआ है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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