ढाकाः बांग्लादेशी नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के स्वामित्व वाली एक कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग, रिश्वतखोरी और देश के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। अधिकारियों के कब्जे में कुछ दस्तावेज आने के बाद घटनाक्रम सामने आया, जिसमें आरोपों का खुलासा हुआ। दस्तावेजों के अनुसार, यूनुस, जिन्हें 2006 में ग्रामीण बैंक की स्थापना और माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस की अवधारणाओं को आगे बढ़ाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, उन्होंने ग्रामीण बैंक, ग्रामीण टेलीकॉम (जीटीसी) और अन्य संबद्ध संगठनों से हजारों करोड़ रुपए का गबन किया।
बांग्लादेश नेशनल प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष शफीक रहमान ने बताया कि यूनुस के कर्मचारियों ने उनका नोबेल शांति पुरस्कार रद्द करने की मांग की है। रहमान ने कहा, कि ‘उन्होंने अपने और संचालकों के खिलाफ दायर मामलों से सुरक्षित रहने के लिए न्यायिक अधिकारियों और प्रशासनिक उच्चाधिकारियों को रिश्वत दी। इसके अलावा, उन्होंने अपनी कंपनियों के कर्मचारियों को श्रम अधिकारों का उल्लंघन करते हुए कथित रूप से प्रताड़ित किया।’’
1997 में यूनुस को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना से जीटीसी का लाइसेंस मिला था। इसके बाद उन्होंने ग्रामीण फोन लिमिटेड के शेयरों का बड़ा हिस्सा एक विदेशी कंपनी को सौंप दिया। वर्तमान में जीटीसी के पास ग्रामीण फोन लिमिटेड में 34.20 प्रतिशत शेयर हैं, जिसके विरुद्ध इसे हर साल हजारों करोड़ का लाभांश प्राप्त होता है। जीटीसी से मिलने वाली इस लाभांश आय का अधिकांश हिस्सा अवैध रूप से यूनुस के सामाजिक कारोबार द्वारा लॉन्ड्रिंग किया जाता है।
वकीलों के मुताबिक यूनुस और जीटीसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यूनुस ने मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट, 2012 के तहत अपराध किया और जीटीसी कंपनी अधिनियम, 1994 की धारा 28 और 29 के उल्लंघन में अपने लाभांश को स्थानांतरित कर रहा है।