विकास पर चीन और भारत की राय बिलकुल एक है

नई दिल्ली भारत में हाल ही में संपन्न हुई जी20 देशों की बैठक में सभी सदस्य देशों ने हिस्सा लिया और इस महा आयोजन को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई। यह समिट 9-10 सितंबर 2023, को भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया गया इस वर्ष भारत के पास जी20 देशों की अध्यक्षता थी।.

नई दिल्ली भारत में हाल ही में संपन्न हुई जी20 देशों की बैठक में सभी सदस्य देशों ने हिस्सा लिया और इस महा आयोजन को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई। यह समिट 9-10 सितंबर 2023, को भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया गया इस वर्ष भारत के पास जी20 देशों की अध्यक्षता थी। इस वर्ष की थीम थी “वसुधैव कुटुम्बकम्” जिसका हिन्दी में अनुवाद है “एक धरती, एक दुनिया, एक भविष्य” हालाँकि यह भारत के लिए नया नहीं है क्योंकि भारतीय परंपरा हमेशा से ही वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत पर ज़ोर देती आयी है। हाँ, यहाँ यह जानने की भी आवश्यकता है की मानव जाति के लिए साझा भविष्य का समुदाय चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग युग में चीन की सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति निर्माण बन गया हैं। चीनी सपने को विकसित करने के अपने प्रयास के हिस्से के रूप में, चीन अपने विदेशी संबंधों के नेटवर्क का विस्तार करने के लिए एक तंत्र के रूप में मानव जाति के लिए साझा भविष्य के समुदाय का उपयोग करना चाहता है। इस जी20 सम्मेलन में नई सदस्य के रूप में भारत ने अफ़्रीकन यूनियन का समर्थन करते हुए उसे जी20 देशों में शामिल करने की शिफ़ारिश करते हुए आधिकारिक रूप से अफ़्रीकन यूनियन को शामिल किया गया। इस तरह से अब जी20 में कुल 21 देश शामिल हो गये हैं। इस सम्मेलन में रुस के राष्ट्रपति पुतिन शामिल नहीं हुए, वही चीनी राष्ट्रपति भी ग़ैरहाज़िर रहे कई जानकार यह अंदेशा लगा रहे थे की अगर ये दोनों राष्ट्र प्रमुख जी20 में हिस्सा लेते है सम्मेलन से अलग रुस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा होगी जिस पर सबकी निगाहें टिकी थीं, मगर ऐसा नहीं हुआ। चीन ने 11 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन पर अपनी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा कि वह नई दिल्ली घोषणा का स्वागत करता है, जिसमें “पुनः पुष्टि” की गई है कि जी20 “आर्थिक सहयोग” का एक रूप है और “भू-राजनीतिक और सुरक्षा को हल करने का मंच नहीं है।”
बीजिंग ने कहा कि उसने शनिवार को भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ द्वारा घोषित महत्वाकांक्षी नई भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) योजना का भी “स्वागत” किया है। , जिसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जवाब के रूप में देखा जाता है – लेकिन कहा गया कि इसे “भूराजनीतिक उपकरण” नहीं बनना चाहिए। IMEC में भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाला एक पूर्वी गलियारा और खाड़ी को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी गलियारा शामिल है, और इसमें रेलवे और जहाज-रेल पारगमन नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे।
सीएमजी हिन्दी की टीम से बात करते हुए चीन मामलो के जानकार प्रसून शर्मा ने बताया कि “ यह शिखर सम्मेलन कई मामलो में अहम है चाहें आप अफ़्रीकन यूनियन के शामिल होने की बात करे या फिर IMEC के गठन के बारे में देखें। यह सम्मेलन भारत के लिए अहम था जिसका भारत ने भरपूर लाभ उठाया और सम्मेलन के ज़रिए अपनी बात सदस्य देशों के सम्मुख रखने का प्रयास किया और सफल भी रहा” प्रसून कहते हैं अगर हम चीन की बात करे तो चीन की तरफ़ से सम्मेलन में शामिल हुए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने भी विकास पर ज़ोर दिया और अपना समर्थन जताते हुए अपनी रज़ामंदी दी जिससे आप चीन की अहम भूमिका का अंदाज़ा लगा सकते हैं” चीन का प्रभाव समूचे दक्षिणी एशिया पर है जो दर्शाता है कि चीन विकास के मुद्दों पर कितना गंभीर है और कितना आवश्यक भी, चीन के बिना आप इस समूचे क्षेत्र में विकास की कल्पना भी नहीं कर सकते इसलीये चीन का सहयोग बहुत अहम हो जाता है”।
2008 में उद्घाटन जी20 शिखर सम्मेलन के बाद से, चीन ने रचनात्मक भूमिका निभाई है, जी20 सहयोग को बहुत महत्व दिया है और बेहतर वैश्विक आर्थिक प्रशासन और सतत विकास के लिए विचारों और समाधानों में योगदान दिया है।
पिछले दशक में शिखर सम्मेलनों को संबोधित करते हुए, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साझेदारी, सामान्य विकास, सतत विकास और खुलेपन के महत्व पर प्रकाश डाला है और मानव जाति के लिए साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण में ठोस प्रयासों का आग्रह किया है। जब सितंबर 2016 में पूर्वी चीन के हांगझू में जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, तो शी ने बिजनेस 20 शिखर सम्मेलन में एक मुख्य भाषण में साझेदारी के महत्व को दोहराया था।
उन्होंने कहा, “साझेदारी जी20 की सबसे मूल्यवान संपत्ति है और सभी देशों की पसंद है क्योंकि वे वैश्विक चुनौतियों का मिलकर सामना करते हैं।”
भारत और चीन दक्षिण एशिया के विकास में अपना समर्थन करने में अग्रसर हैं जिसका असर आने वाले समय में देखा जा सकेगा, दोनों पड़ोसी देशों के बीच भले ही सीमा विवाद हो परन्तु विकास पर दोनों पड़ोसियों की राय बिलकुल एक है और वह इसका समर्थन भी करते हैं, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी20 बैठक के पहले दिन कहा कि चीन नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के विभिन्न परिणामों का बहुत समर्थक था।
जी20 शिखर सम्मेलन से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति पर एक सवाल का जवाब देते हुए, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “यह हर देश को तय करना है कि उन्हें किस स्तर पर प्रतिनिधित्व किया जाएगा। मुझे नहीं लगता कि किसी को इसमें ज्यादा अर्थ लगाना चाहिए। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि उस देश ने क्या रुख अपनाया है, और उस देश ने विचार-विमर्श और परिणामों में कितना योगदान दिया है, और मैं कहूंगा कि चीन विभिन्न परिणामों का बहुत समर्थक था।”
आशा है आगे आने वाले दिनों में भी यह दोनों पड़ोसी इसी तरह ना सिर्फ़ एशिया बल्कि विश्व के विकास में एक-दूसरे का समर्थन करते रहेंगे।
(देवेंद्र सिंह)

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