अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी आईएईए के नवंबर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक ऑस्ट्रिया के विएना में चल रही है। चीन के प्रस्ताव के अनुसार अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच परमाणु पनडुब्बी सहयोग के मुद्दे को आधिकारिक तौर पर 11वीं बार एजेंसी की बैठक के एजेंडे में शामिल किया गया है। 24 नवंबर को आईएईए स्थित चीन के स्थायी प्रतिनिधि ली सोंग ने परिषद की विशेष चर्चा में एक मुख्य भाषण दिया और चीन के रूख पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला।
ली सोंग ने कहा कि अमेरिका-ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया परमाणु पनडुब्बी सहयोग ने वैश्विक और एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाला है, परमाणु प्रसार की सीमा को पार कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार तंत्र और संस्थानों की व्यापक सुरक्षा और पर्यवेक्षण प्रणाली के लिए गंभीर चुनौतियां ला दी हैं। ऐसा सहयोग परमाणु हथियारों के अप्रसार संधि (एनपीटी) के लक्ष्य और उद्देश्य के विपरीत है और एक विशिष्ट दोहरा मानक है। अधिकांश सदस्य देशों को इसे सावधानी से लेना चाहिए, गहराई से सोचना चाहिए और इसे समुचित रूप से संभालना चाहिए।
ली सोंग ने जोर देते हुए कहा कि संस्थानों की व्यापक सुरक्षा और पर्यवेक्षण प्रणाली का विकास और सुधार हमेशा सदस्य देशों की सामान्य भागीदारी के नेतृत्व में किया गया है और सर्वसम्मति के आधार पर हासिल किया गया है। इस परंपरा को बनाए रखना सभी सदस्य देशों के साझा हित में है। सदस्य देशों की अलग-अलग राय और चिंताएं होना सामान्य बात है, जिस पर पूरा ध्यान और सम्मान दिया जाना चाहिए और परामर्श के माध्यम से आम सहमति पर पहुंचना चाहिए। यह सच्चे बहुपक्षवाद और “विएना की भावना” का अवतार है। अमेरिका-ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया परमाणु पनडुब्बी सहयोग पर चर्चा एक दीर्घकालिक प्रक्रिया होगी। सदस्य देशों के आम सहमति संपन्न होने से पहले, प्रासंगिक सुरक्षा व्यवस्था की व्याख्या और निर्णय तीन देशों और सचिवालय द्वारा प्राधिकरण के बिना नहीं किया जा सकता है।
रूस, मिस्र, अल्जीरिया, पाकिस्तान, ईरान, क्यूबा और अन्य देशों ने भाषण में कहा है कि अमेरिका-ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया परमाणु पनडुब्बी सहयोग में बड़ी मात्रा में हथियार-ग्रेड परमाणु सामग्री का हस्तांतरण शामिल है और गंभीर परमाणु प्रसार जोखिम पैदा होता है। विभिन्न पक्ष चीन द्वारा समर्थित औपचारिक विषयों के आधार पर एजेंसी परिषद और सम्मेलन में अंतर-सरकारी चर्चाओं को आगे जारी रखने का समर्थन करते हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)