चीन में देश की शीर्ष विधायिका और राजनीतिक सलाहकार निकाय की सबसे बड़ी राजनीतिक सभा, जिसे “दो सत्र” भी कहा जाता है, 14 मार्च को बीजिंग में संपन्न हुई। इस पर न केवल चीनी लोगों की, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की निगाहें टिकी थीं। इस मंच से चीन के नव–निर्वाचित नेताओं ने सम्पूर्ण मानवजाति के कल्याण के लिए एक बहुध्रुवीय विश्व का आह्वान किया, जिसमें सभी मनुष्यों के लिए एक समान मानवीय मूल्यों के साथ एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सके।
लगभग दो सप्ताह तक चले “दो सत्र” में पूरे चीन से आये 2900 से भी अधिक प्रतिनिधियों ने अपने संविधान प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए चीन की नयी सरकार का गठन किया। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में विश्वास प्रकट करते हुए सभी प्रतिनिधियों ने उन्हें लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए सर्वसम्मति से देश का राष्ट्रपति चुन लिया। राष्ट्रपति शी चिनफिंग को इन्हीं “दो सत्रों” की बैठकों के दौरान चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के केंद्रीय सैन्य आयोग का अध्यक्ष भी चुना गया। पिछले वर्ष ही राष्ट्रपति शी को चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति का महासचिव चुना गया था।
देश भर से आये सभी प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विचार “नए युग के लिए चीनी चरित्र वाले समाज” की भूरी–भूरी प्रशंसा की और इसे 1.4 अरब चीनी नागरिकों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन बताकर इस दिशा में तेज़ गति से सभी लोगों से काम करने का आह्वान किया। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सभी नव–निर्वाचित नेताओं से चीन को शताब्दी के मध्य तक सभी क्षेत्रों में एक महान आधुनिक समाज बनाने का आह्वान किया। इसके साथ ही राष्ट्रपति शी ने उच्च गुणवत्ता वाले विकास, लोक केंद्रित विकास आदि विषयों पर ज़ोर दिया।
वास्तव में,चीन के “लोक–केंद्रित विकास” की अवधारणा महज़ एक नारा नहीं है बल्कि यह चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की कोर नीति में निहित है जिसके कारण चीनी नागरिकों के जीवन–स्तर में उत्तरोत्तर सुधार साफ़ परिलक्षित होता है। पिछले दशक में चीन में सम्पूर्ण गरीबी उन्मूलन होना इसी नीति को दर्शाता है। चीन अपनी इस सफल विकास–यात्रा के अनुभवों को विश्व के बाकी देशों के साथ साझा करना चाहता है जिससे अन्य विकासशील देशों में रह रहे लाखों–करोड़ों लोगों को इसका फायदा मिले।
पिछले सौ सालों में चीन में हुए अभूतपूर्व विकास का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति शी ने अपने उद्बोधन में कहा कि चीन बाकी विश्व से कटकर या अलग रहकर विकसित नहीं हो सकता है अतः सम्पूर्ण विश्व को इसमें भागीदार बनाना होगा। “चीन का विकास केवल चीन के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए है। हम चीनी अर्थव्यवस्था को और उदार बनाएंगे जिससे चीन के साथ साथ सारे विश्व का लाभ हो।”
चीनी राष्ट्रपति के इन शब्दों ने न केवल चीन में नए आधुनिक युग जिसमें विस्तृत नीतियों, सक्षम नेतृत्व के साथ चीन के कायापलट की अवधारणा है, का आरम्भ किया है बल्कि पूरे विश्व के लिए एक साझा भविष्य की परिकल्पना को भी प्रस्तुत किया है। चीनी राष्ट्रपति की इसी साझा विकास की अवधारणा को धरातल पर उतार रही हैं चीनी कंपनियां। हरित–विकास एवं अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में चीनी कम्पनियाँ विकासशील देशों में अपना निवेश बढ़ा रही हैं जिससे उन देशों की अर्थव्यवस्था की रफ़्तार बढ़ रही है और रोज़गार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। चीन के इन प्रयासों से वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों को भी प्राप्त करने में कई विकासशील देशों को सहायता मिल रही है।
इन्ही वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए चीन ने “वैश्विक विकास पहल” और “वैश्विक सुरक्षा पहल” की योजनाओं को विश्व में शांतिपूर्ण विकास एवं स्थायित्व के लिए प्रतिपादित किया है जिनको राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने तेज़ गति गति से आगे बढ़ाने की वकालत की है। वैश्विक शासन व्यवस्था पर बोलते हुए राष्ट्रपति शी ने कहा “शान्ति, विकास एवं परस्पर लाभ के लिए सहयोग के सिद्धांत और एक ऐसी वैश्विक–शासन व्यवस्था के लिए चीन प्रतिबद्ध है जो सही मायनों में बहुध्रुवीय हो, एकसमान मानवीय मूल्यों का पालन करती हो और विश्व–शांति एवं विकास की अवधारणा के तहत जहां मुक्त–अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।”
अश्विनी उपाध्याय