China अपने विकास में वैश्विक आधुनिकीकरण में योगदान दे रहा है

बात उन्नीसवीं सदी की शुरुआत की है जब पूर्वी एशिया पर चीन का प्रभुत्व था। किंग राजवंश, एक लंबी परंपरा के उत्तराधिकारी, अपनी शक्ति में सुरक्षित लग रहा था, जबकि जापान, एक छोटा द्वीप देश,अलगाव में बंद लग रहा था। फिर भी, कुछ दशकों के भीतर चीन औपनिवेशिक चुनौती का सामना करने में असमर्थ और.

बात उन्नीसवीं सदी की शुरुआत की है जब पूर्वी एशिया पर चीन का प्रभुत्व था। किंग राजवंश, एक लंबी परंपरा के उत्तराधिकारी, अपनी शक्ति में सुरक्षित लग रहा था, जबकि जापान, एक छोटा द्वीप देश,अलगाव में बंद लग रहा था। फिर भी, कुछ दशकों के भीतर चीन औपनिवेशिक चुनौती का सामना करने में असमर्थ और उथल-पुथल होने लगा नतीजन शाही सरकार ने राजनीतिक नियंत्रण खो दिया, सुधार करने में असमर्थ लगने लगी औरप्रभावी रूप से देश गृहयुद्ध से पीड़ित था।

साल 1949 में गृहयुद्ध से विजयी हुए और पियुपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की स्थापना हुईं। हालाँकि, 1970 के दशक के अंत में चीनी नेताओं ने महसूस किया कि वैचारिक प्रणाली आर्थिक वृद्धि और विकास को अवरूद्ध कर रहा था। इसके बाद, चीन ने देश की अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने के साधन के रूप में औद्योगिक, कृषि, रक्षा और विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए “चार आधुनिकीकरण” की अवधारणा को अपनाया।

चीन ने भी पश्चिमी विकसित देशों के अर्थव्यवस्था, विकास और आथुनिकीकरण को पहचाना और अपनी सभ्यता को बनाये रखते हुए अपने लिए बनाये गए आथुनिकीकरण मॉडल पर काम करना चालू किया और इस तरह औद्योगिक क्रांति की शुरुआत की और अत्यधिक विकसित उत्पादकता और आधुनिक तकनीक ने वैश्विक आधुनिकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।

विशाल जनसंख्या का लाभ

चीन ने अपनी विशाल जनसंख्या से चिंतित ना होकर उसका बेहतर उपयोग करना सीखा। 1970 के दशक में चीन कई चुनौतियों से जूझ रहा था, कोई देश ये कल्पना भी नहीं कर सकता की इतनी बड़ी जनसंख्या वाला देश कभी इन चुनौतियों से उभर भी पाएगा। मगर चीनी लोगों ने हर मुसीबत का सामना करते हुए प्रगति के पथ पर अपने कदम बढ़ाये बल्कि उनकी रफ़्तार भी समय के साथ तेज़ कर दी। 1970 के दशक में चीनी सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था को खोलना शुरू कर दिया, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आमंत्रित कर निर्यात-आयात को आसान बना दिया। साम्यवादी चीन शासन ने कृषि को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करना शुरू कर दिया – ये देश में एक बड़ा सुधार था। इसने जनसंख्या बम को निष्क्रिय करने के लिए और जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने के लिए एक-बच्चे की नीति लागू की।

इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन ने बुनियादी ढांचे में भारी निवेश शुरू किया। यह एक प्रमुख नीतिगत निर्णय था क्योंकि इसने लाखों लोगों को रोजगार प्रदान किया जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और क्रय शक्ति में सुधार हुआ, जो औद्योगिक प्रगति के लिए आवश्यक घटक था। चीन अभी भी बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर रहा है। इसकी वन बेल्ट वन रोड (OBOR) पहल में यह स्पष्ट है। इस पहल से ना केवल चीन बल्कि उसके पड़ोसी देशों को भी भरपूर लाभ मिला है।

क्षेत्रीय दृष्टिकोण

1970 के दशक में, भारत और चीन दोनों को आर्थिक और जनसांख्यिकीय समस्याओं को सुलझाना था। चीन ने सस्ते श्रम उपलब्ध कराने के लिए श्रम प्रधान उद्योगों का निर्माण शुरू किया। टेक्सटाइल, लाइट इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों में बड़े निवेश प्राप्त हुए। जिसने आगे चलकर चीन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चीन ने विनिर्माण और निर्यातोन्मुख उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र भी बनाए। इन क्षेत्रों में व्यापार के सामान्य नियमों को आसान बनाया गया – बेहतर बुनियादी ढांचे वाले क्षेत्रों और निवेशकों के लिए सस्ते श्रम तक पहुंच के लिए चिन्हित किया।

ऊर्जा के प्रति जागरूक

ऊर्जा किसी देश के अस्तित्व और प्रगति की कुंजी है और ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत – कोयला और तेल – सीमित हैं। विकसित देशों के बीच ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने में वृद्धि हुई है। चीन ने भी, कोयले पर अपनी निर्भरता को बड़े पैमाने पर कम करने और सौर ऊर्जा जैसी हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बदलाव किया है। चीन दूसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बनकर उभरा है। चीन ने आक्रामक रूप से बिजली के वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के पास सबसे ज्यादा संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन और ऐसे वाहनों के लिए सार्वजनिक चार्जिंग प्वाइंट हैं।

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के अनुसार चीन अपने आधुनिकीकरण के पथ पर अग्रणी है चीन अपने पथ का स्वयं निर्माण कर रहा है वो भी अपनी संस्कृति, विरासत और स्वर्णिम इतिहास को सँजोए हुए है। चीनी शैली के आधुनिकीकरण का उदेश्य सभी के लिए समान है। पश्चिमी शैली के बिलकुल विपरीत जैसे पूंजीवाद असमानता और धन का असमान वितरण पैदा करता है, पश्चिमी शैली का आधुनिकीकरण अमीर और गरीब के बीच की खाई को चौड़ा करता है। चीनी शैली का आधुनिकीकरण एक सांस्कृतिक-नैतिक प्रगति प्रदान करता है, जिसमे लोग स्वस्थ्य और सांस्कृतिक रूप से स्मृद्ध जीवन का आनंद ले सकें।

आधुनिकीकरण में मानवता और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य स्थापित हो सके। इसलिए चीन, पश्चिम के विपरीत, नुकसान होने के बाद पर्यावरणीय समस्याओं को दूर करने में विश्वास नहीं करता; इसके बजाय, यह प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण की बेहतर सुरक्षा के लिए अग्रिम कदम उठाता है। और स्वच्छ, सुंदर वातावरण के लिए लोगों की मांग को पूरा करने के लिए अधिक पर्यावरण अनुकूल सामान प्रदान करता है।

अंतिम में चीन का आधुनिकीकरण पूरी तरह से शांतिपूर्ण विकास के मार्ग का अनुसरण करता है। यही कारण है चीन अपने विकास में वैश्विक आधुनिकीकरण में योगदान दे रहा है। यह दर्शाता है की चीन ना केवल अपना बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करता रहेगा और एक साझा भविष्य का निर्माण करने में अपना अहम कर्तव्य निभाते रहने में अग्रणी रहेगा।

(रिपोर्टर—देवेंद्र सिंह)

- विज्ञापन -

Latest News