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चीन ने हरित विकास का उदाहरण किया पेश - Dainik Savera Times | Hindi News Portal
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चीन ने हरित विकास का उदाहरण किया पेश

चीन ने तेज गति से विकास करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और हरित अर्थव्यवस्था पर भी ध्यान दिया है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद इस पर ज्यादा जोर दिया गया। उदाहरण के लिए प्रदूषण फैलाने वाले कई कारखानों को स्वच्छ ऊर्जा आधारित प्लांट्स में बदला गया। लेकिन ऐसा करना आसान नहीं था, क्योंकि यह आर्थिक रूप से नुकसानदायक होता है। क्योंकि नई ऊर्जा संबंधी संयंत्रों की स्थापना और संचालन में काफी ज्यादा खर्च होता है। चीन ने आर्थिक चुनौती के बावजूद इस रास्ते को अपनाया, जिसका नतीजा हमें कई क्षेत्रों में साफ़ दिख रहा है। यही नहीं, आज चीन विश्व का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार बाज़ार बन गया है, जो हरित विकास के लिए चीन द्वारा किए जा रहे प्रयासों को दर्शाता है।

इस लेख में हम बात करेंगे कि किस तरह से रिसाइकल प्लांट में हरित विकास पर काम हो रहा है। चीन के च्यांगसी प्रांत के फंगछंग में रिसोर्सेज रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रियल बेस में, स्क्रैप एल्युमीनियम को पिघलाकर व्हील हब बनाया जाता है। लेकिन फेंके गए प्लास्टिक को रिसाइकिल प्लास्टिक पेलेट में बदला जाता है, और दुर्लभ व कीमती धातुओं को निकालने के लिए ई-कचरे को परिष्कृत किया जाता है। इससे पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद मिल रही है। 

च्यांगसी ग्रीन रिसाइक्लिंग कंपनी के अध्यक्ष छिन यूफेई के मुताबिक, उनकी कंपनी हर साल एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा बेकार प्लास्टिक और घरेलू उपकरणों को रिसाइकिल करती है। फिर रिसाइकिल किए गए प्लास्टिक पेलेट का इस्तेमाल पैकेजिंग, घरेलू सामान और ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि उद्योंगों में किया जाता है।

आज च्यांगसी प्रांत के इस इलाके में रिसाइक्लिंग प्लांट और तकनीक ने बहुत कुछ बदल दिया है। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब फंगछंग के लोग घर-घर जाकर स्क्रैप सामग्री एकत्र करते थे। बात 1990 के दशक की है, जब यहां के स्थानीय निवासी तिपहिया वाहनों पर जाकर स्क्रैप सामग्री लाते और बेचते थे। लेकिन अब इसमें बड़ा बदलाव आया है। 

बताया जाता है कि पिछले साल इस इंडस्ट्रियल बेस में 42 बिलियन युआन की कीमत का 6 लाख टन से अधिक पुनर्नवीनीकरण तांबा, एल्यूमीनियम और प्लास्टिक  उत्पादित हुआ।  

बेस ने पुनर्चक्रण से लेकर निराकरण, छंटाई, गलाने और प्रसंस्करण तक एक पूर्ण व्यवस्था विकसित की है। इसके लिए पर्यावरण अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे न केवल समूचे क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या का समाधान हुआ है। यह न केवल प्रदूषण को कम करता है, बल्कि कच्चे माल के खनन को भी धीमा करने में मदद करता है। 

इस तरह से पर्यावरण संरक्षण में इस बेस का अहम योगदान है, जो अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण साबित हो सकता है। गौरतलब है कि कई देश अब हरित अर्थव्यवस्था और उद्योगों के महत्व को समझने लगे हैं। क्योंकि इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, जो कि हरित क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। 

(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) 

 

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