चीनः भारत के तेज विकास पर खुश रहता है

भारत के तेज विकास के प्रति चीन का क्या रवैया है? इस सवाल पर चर्चा दिल्चस्प है। आईएमएफ के पूर्वानुमान के मुताबिक, 2023 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.3% तक पहुंच कर प्रमुख देशों में पहले स्थान पर रहेगी, और नये साल में भारत की वृद्धि दर सात प्रितशत तक जा पहुंचेगी। उधर भारतीय.

भारत के तेज विकास के प्रति चीन का क्या रवैया है? इस सवाल पर चर्चा दिल्चस्प है। आईएमएफ के पूर्वानुमान के मुताबिक, 2023 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.3% तक पहुंच कर प्रमुख देशों में पहले स्थान पर रहेगी, और नये साल में भारत की वृद्धि दर सात प्रितशत तक जा पहुंचेगी। उधर भारतीय शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है, नवंबर के अंत में भारतीय एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्य 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। 5 दिसंबर को एसएंडपी ग्लोबल द्वारा जारी “ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024” रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगले तीन वर्षों में दुनिया की सबसे तेज जीडीपी वृद्धि के साथ रहेगा और 2030 तक इसके दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।

उधर भारत के उल्लेखनीय विकास के प्रति चीन का क्या रवैया है? तथ्य यह है कि चीन भारत की समृद्धि को देखकर खुश रहा है, क्योंकि इसका मतलब है कि भारत चीन से अधिक सामान खरीद सकेगा। चीन भारत को एक अच्छा पड़ोसी मानता है और पड़ोसी का अमीर बनना कभी भी बुरी बात नहीं है। चीन भी भारतीय उत्थान को अपने प्रभाव के लिए ख़तरे के रूप में नहीं मानता। एशिया के इन दोनों पड़ोसी देशों के अपने-अपने फायदे हैं। चीन हमेशा अपनी दीर्घकालिक योजना के अनुसार लगातार काम करता है। भारत और चीन दोनों हजार साल पुरानी सभ्यता वाले देश हैं, और दोनों के बीच हजारों वर्षों से शांतिपूर्ण आदान-प्रदान का इतिहास होता है। वास्तव में, यह दोनों देशों द्वारा साझा की गई “वसुधैव कुटुम्बकम्” की अवधारणा है जो उन्हें आपसी संघर्षों में जाने से रोकती है।

1980 के दशक में सुधार और खुलेपन की शुरुआत के बाद से, चीन ने आर्थिक विकास, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और जीवन की गुणवत्ता में भारी पूंजी निवेश किया है। जिससे चीन में तेजी से विकास हुआ और चीन एशिया में एक निर्विवाद शक्ति बन गया। हालाँकि, चीन की सांस्कृतिक परंपरा में कभी भी आधिपत्य नहीं मौजूद है। आज चीन समाजवादी प्रणाली लागू करता है, शांतिपूर्ण विदेश नीति अपनाता है, और दुनिया के लिए साझा भविष्य वाले समुदाय के विचार के तहत शांतिपूर्ण विकास का रास्ता चुनता है। हालांकि चीन और भारत की स्थितियां और राजनीतिक प्रणालियाँ अलग हैं, वे अपने अपने राष्ट्रीय कायाकल्प प्राप्त करने का प्रयास करती हैं। दोनों की राष्ट्रीय आकांक्षाएं पूरी तरह से समान हैं।

गौरतलब है कि 1990 के दशक से चीन ने भारत की बिजली, मोबाइल फोन और फार्मास्युटिकल कच्चे माल जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, जिससे भारत के औद्योगीकरण में उपयोगी सहायता मिलती है और भारत को कई वस्तुओं का एक विशाल बाजार उपलब्ध होता है। चीन और भारत हिमालय पर्वत के दोनों किनारों पर स्थित हैं, दोनों के बीच हजारों वर्षों के शांतिपूर्ण आदान-प्रदान रहे हैं, जो विश्व के इतिहास में कम दिखता है। एक साथ काम करते हुए, चीन और भारत को दुनिया के लिए भारी योगदान करने में सक्षम हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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