चीन की आर्थिक वसूली से वैश्विक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ की औपचारिक स्थापना एक साथ 27 दिसंबर 1945 को अमेरिका में हुई थी। वर्तमान में इन दोनों को दुनिया की दो प्रमुख विशिष्ट वित्तीय संस्था माना जाता है। लेकिन इन दोनों के बीच अंतर भी है। विश्व बैंक नीति सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिये ऋण देता.

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ की औपचारिक स्थापना एक साथ 27 दिसंबर 1945 को अमेरिका में हुई थी। वर्तमान में इन दोनों को दुनिया की दो प्रमुख विशिष्ट वित्तीय संस्था माना जाता है। लेकिन इन दोनों के बीच अंतर भी है। विश्व बैंक नीति सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिये ऋण देता है, जबकि आईएमएफ़ केवल नीति सुधार कार्यक्रमों के लिये ही ऋण देता है। इन दोनों संस्थाओं में एक अंतर यह भी है कि विश्व बैंक केवल विकासशील देशों को ऋण देता है, जबकि आईएमएफ़ के संसाधनों का इस्तेमाल निर्धन राष्ट्रों के साथ-साथ धनी देश भी कर सकते हैं। 

बता दें कि इसी वर्ष के अक्टूबर में इन दोनों संस्थाओं ने एक वार्षिक बैठक बुलायी,जिस दौरान दोनों संस्थाओं के नेताओं ने समूहों के बीच आमने-सामने की बातचीत में आगामी वर्ष में विश्व अर्थव्यवस्था के मंदी की चपेट में आने की संभावना का अनुमान लगाया है। वित्तीय दिग्गजों ने विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विकास में मंदी के रूप में वैश्विक मंदी के बढ़ते जोखिमों को चेतावनी दी है और बहु-वर्षीय उच्च मुद्रास्फीति ने अमेरिका के फेडरल रिजर्व को अपनी आक्रामक मौद्रिक सख्ती से लागू करने और विकासशील देशों पर ऋण दबाव जोड़ने के लिए प्रेरित किया है।

दरअसल, कोविड-19 महामारी और जटिल अंतर्राष्ट्रीय स्थिति जैसे कारणों से, अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का विकास धीमा हो रहा है, साथ ही रूस-यूक्रेन संघर्ष से लेकर प्राकृतिक गैस की कीमतें यूरो क्षेत्र पर दबाव बढ़ा रही हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि विश्व आर्थिक स्थिति में कई अनिश्चितताएं मौजूद हैं,जिन पर हमें पूरा ध्यान देने की जरूरत है। वहीं अगर हम चीन के बारे में बात करें, तो यह सच्चाई है कि कोविड-19 महामारी  व्यवधानों जैसे कारणों से चीन की अर्थव्यवस्था भी थोड़ी धीमी हो रही है। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देश और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, पिछले साल यानी वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी  के रोकथाम और नियंत्रण की स्थितियों में चीन अपनी मजबूत उत्पादन क्षमता के माध्यम से वैश्विक बाजार की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ घरेलू आर्थिक विकास और रोजगार को भी बढ़ावा दिया है। वर्ष 2021 में, चीन और उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के बीच आयात-निर्यात व्यापार में वृद्धि हुई। साथ ही इस वर्ष यानी वर्ष 2022 में भी ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी। अब चीन विश्व के एक सौ से अधिक देशों का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। चीन का विशाल बाजार दुनिया के सभी देशों के लिए सबसे आकर्षक कारक बन गया है, और यह विश्व अर्थव्यवस्था के विकास बढ़ाने का सबसे शक्तिशाली स्रोत भी है।

दूसरी तरफ़, हाल ही में चीन की महामारी रोकथाम और नियंत्रण नीति के समायोजन के साथ, चीन का विशाल बाजार और विनिर्माण क्षमता देश के आर्थिक विकास के लिये और महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जो चीन के आर्थिक विकास में तेजी लाएगा। साथ ही चीन वैश्विक आर्थिक शासन का भागीदार, रक्षक और निर्माता है। चीन उच्च-स्तरीय खुलेपन को बढ़ावा देना जारी रखे हुए है, और ऋण एवं जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईएमएफ और विश्व बैंक सहित सभी पक्षों के साथ मैक्रो नीति समन्वय को मजबूत करने का इच्छुक है। इसके अलावा चीन आरएमबी विनिमय दर को मूल रूप से एक उचित और संतुलित स्तर पर स्थिर रखेगा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता को बनाए रखने में मदद मिलेगी

 

(लेखकल्याओ चियोंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

 

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