चीन की एक-चीन नीति को हिलाया नहीं जा सकता

20 मई को लाई छिंगडे ने चीन के थाईवान क्षेत्र के अधिकारी के रूप में पद संभाला। उन्होंने खुले तौर पर घोषणा की कि थाईवान जलडमरूमध्य के दोनों पक्ष “एक-दूसरे से संबद्ध नहीं हैं” और चीन की मुख्य भूमि के “सैन्य खतरे” को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने लाई छिंगडे.

20 मई को लाई छिंगडे ने चीन के थाईवान क्षेत्र के अधिकारी के रूप में पद संभाला। उन्होंने खुले तौर पर घोषणा की कि थाईवान जलडमरूमध्य के दोनों पक्ष “एक-दूसरे से संबद्ध नहीं हैं” और चीन की मुख्य भूमि के “सैन्य खतरे” को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने लाई छिंगडे को बधाई दी और अमेरिका ने भी उनके पद ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए प्रतिनिधि भेजा। हालांकि, वे चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, वे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के एक-चीन सिद्धांत के पालन को हिला नहीं सकते।

थाईवान चीन का एक हिस्सा है। थाईवान में “सत्तारूढ़” अधिकारियों का बदलना चीन का अंदरूनी मामला है। लेकिन लाई छिंगडे ने खुलेआम “दो-राष्ट्र दलील” का प्रसार किया, और “थाईवान मुद्दे के अंतर्राष्ट्रीयकरण” को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश की। अमेरिका के गलत शब्दों और कार्यों की एक श्रृंखला ने एक-चीन सिद्धांत और तीन चीन-अमेरिका संयुक्त विज्ञप्तियों के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन किया, और “थाईवान स्वतंत्रता” अलगाववादी ताकतों को गलत संकेत भेजा है। इसने एक बार फिर दुनिया को स्पष्ट रूप से बता दिया है: अमेरिका और थाईवान की उकसावे की कार्रवाइयां थाईवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता के लिए वास्तविक खतरा हैं।

कुछ विश्लेषकों के मुताबिक लाई छिंगडे ने पद ग्रहण समारोह में ऐसा बोलने की हिम्मत क्यों की, इसका कारण अमेरिका की “मौन स्वीकृति” थी। हालांकि अमेरिका ने लंबे समय से लाई छिंगडे पर अविश्वास नहीं किया है, लेकिन उसने चीन की मुख्य भूमि की प्रतिक्रिया का परीक्षण करने के लिए जानबूझकर लाई के मुंह का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा, यह वर्ष अमेरिका में एक चुनावी वर्ष है, इसलिए अमेरिका में कुछ लोग वोट हासिल करने के लिए “थाईवान कार्ड” खेलने का इरादा रखते हैं।

थाईवान मुद्दा चीन के मूल हितों का मूल है और चीन-अमेरिका संबंधों के राजनीतिक आधार की नींव भी है। इसके बारे में अमेरिका बहुत स्पष्ट जानता है। पिछले नवंबर में सैन फ्रांसिस्को में चीन और अमेरिका के राष्ट्रपतियों की बैठक के दौरान, अमेरिकी नेता ने “थाईवान की स्वतंत्रता” का समर्थन न करने की स्पष्ट प्रतिबद्धता जताई। इस साल अप्रैल में दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की फोन बातचीत के दौरान अमेरिका ने भी एक-चीन नीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। हालांकि, अमेरिका अपने शब्दों से पीछे हट गया है और उसके शब्द और कार्य असंगत रहे हैं, जिससे उनके दोहरे मानदंड और पाखंड उजागर हो रहे हैं।

वाशिंगटन थाईवान को हथियार देकर लाभ हासिल कर रहा है, साथ ही वह थाईवान के मुख्य उद्योगों को कमजोर करने के प्रयास में टीएसएमसी(TSMC) को अमेरिका में भारी निवेश करने के लिए भी मजबूर कर रहा है। यहां तक कुछ अमेरिकी नेताओं ने थाईवान जलडमरूमध्य में स्थिति बदलने पर सबसे पहले टीएसएमसी को उड़ाने की धमकी भी दी। सब लोग जानते हैं कि अमेरिका थाईवान का उपयोग कर रहा है और उसे कमजोर कर रहा है। एक बार थाईवान जलडमरूमध्य में संघर्ष शुरू हो जाने के बाद, अमेरिका खड़े होकर देखता रहेगा, और थाईवान जल्द ही “शतरंज के मोहरे” से एक ” अलग-थलग शतरंज का टुकड़ा” बन जाएगा। 

अंतर्राष्ट्रीय वातावरण के दृष्टिकोण से, थाईवान ने पिछले आठ वर्षों में 10 “राजनयिक देशों” को खो दिया है। अमेरिकी समर्थन के बावजूद, थाईवान का अंतर्राष्ट्रीय स्थान तेजी से प्रतिबंधित हो रहा है। यह पूरी तरह से दिखाता है कि अमेरिका और थाईवान चाहे कितनी भी मिलीभगत कर लें, वे इस बुनियादी तथ्य को नहीं बदल सकते कि दुनिया में केवल एक चीन है और थाईवान चीन का एक हिस्सा है। दुनिया भर के 183 देशों द्वारा चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना पूरी तरह से साबित करता है कि एक-चीन नीति लोगों की आकांक्षा और समय की सामान्य प्रवृत्ति है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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