25 मार्च को भारत में चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का दौरा किया, और चीनी व दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित “चीनी नव वर्ष समारोह” में भाग लिया और भाषण दिया। राजदूत शू ने जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित से मुलाकात की और दोनों पक्षों ने चीन-भारत शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा द्विपक्षीय संबंधों पर गहन विचार-विमर्श किया। इस कार्यक्रम में जेएनयू के भाषा साहित्य और संस्कृति अध्ययन स्कूल की अध्यक्ष प्रो. शोभा शिवशंकरन, अंतर्राष्ट्रीय स्कूल के निदेशक प्रो. पी आर कुमारस्वामी, चीनी दूतावास के मंत्री काउंसलर वांग शिनयुए, काउंसलर यांग श्यूहुआ, कई युवा राजनयिकों और जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के प्रतिनिधियों सहित 300 से अधिक लोग शामिल हुए।
अपने भाषण में राजदूत शू ने जेएनयू के सभी शिक्षकों और छात्रों को नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं, चीन और भारत की दो महान सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान और आपसी सीख में प्राप्त फलदायी परिणामों की समीक्षा की और कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान के लिए उत्साह कभी कम नहीं हुआ है और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का बंधन पिछले कई वर्षों में और मजबूत हुआ है। इस वर्ष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है। दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन में चीन-भारत संबंध अब एक नए ऐतिहासिक प्रारंभिक बिंदु पर हैं। एशिया में 2.8 अरब की आबादी वाले दो प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, चीन और भारत के बीच आपसी समझ और आपसी समर्थन ही एकमात्र सही विकल्प है।
राजदूत शू ने कहा कि जेएनयू के चीनी स्कूल ने अपने पचास वर्षों के विकास में बड़ी संख्या में सांस्कृतिक राजदूतों को प्रशिक्षित किया है और यह चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण उद्गम स्थल बन गया है। मुझे आशा है कि इस स्कूल के छात्र और अधिक युवा भारतीय मित्र चीन और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान के अच्छे संदेशवाहक के रूप में काम करेंगे, ताकि चीन-भारत मैत्री दोनों देशों के युवाओं के दिलों में जड़ें जमा सके और बढ़ सके।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)