संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 54वें सत्र में 19 सितंबर को मानव अधिकारों पर जहरीले अपशिष्ट निपटान के प्रभाव से संबंधित मुद्दे पर विशेष प्रतिवेदकों के साथ संवादात्मक वार्ता आयोजित की गई। मानवाधिकार परिषद में चीनी प्रतिनिधियों ने परमाणु-दूषित पानी को समुद्र में छोड़ कर जापान द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना की, जिस पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई।
वार्ता के दौरान मानवाधिकार परिषद के विशेष प्रतिवेदक ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जापान द्वारा समुद्र में परमाणु-दूषित पानी छोड़े जाने के मुद्दे पर बारीकी से ध्यान देने का आह्वान किया। मानवाधिकार परिषद के विशेष प्रतिवेदक ने कहा कि अध्ययनों के अनुसार भले ही बड़ी मात्रा में कम विकिरण वाले परमाणु-दूषित पानी को समुद्र में छोड़ा जाए, फिर भी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए इसके अथाह परिणाम होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जापान द्वारा समुद्र में परमाणु दूषित पानी छोड़े जाने के मुद्दे पर बारीकी से ध्यान देना चाहिए। परमाणु-दूषित पानी को समुद्र में छोड़ने के लिए मौजूदा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों को तत्काल अद्यतन करने की आवश्यकता है। मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित एक विशेष तंत्र के रूप में वह इस मुद्दे पर बारीकी से नज़र रखना जारी रखेंगे।
समोआ और डीपीआरके के प्रतिनिधियों ने अपने भाषणों में कहा कि जापान द्वारा परमाणु-दूषित पानी का निर्वहन समुद्री जैव विविधता और छोटे द्वीप विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है, प्रशांत तटीय देशों और यहां तक कि दुनिया के सभी लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जापान द्वारा समुद्र में परमाणु-दूषित पानी छोड़े जाने का संयुक्त रूप से विरोध करने का आह्वान किया।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)