Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

अस्थिर विश्व में चीन-रूस संबंधों का महत्व

राष्ट्रपति का पद फिर संभालने के बाद व्लादिमिर पुतिन अपनी पहली विदेश यात्रा में चीन पहुंचे। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पुतिन के साथ न सिर्फ औपचारिक वार्ता की,बल्कि अकेले में भी भेंट की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सम्बंध और समान चिंता वाले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर गहराई से रायों का आदान-प्रदान किया और भावी सहयोग की रूपरेखा खींची। दोनों पक्षों ने संयुक्त बयान जारी किया और कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों में नयी शक्ति डाली गयी। इसके अलावा इस यात्रा के दौरान चीन-रूस सांस्कृतिक वर्ष का उद्घाटन समारोह धूमधाम से आयोजित किया गया,जिससे दो बड़े देशों की मजबूत मित्रता जाहिर हुई।

वर्तमान विश्व में चीन-रूस सम्बंध की विशिष्टता है। दोनों देश गठबंधन नहीं बनाने,मुकाबला नहीं करने और तीसरे पक्ष को ठिकाना नहीं बनाने पर कायम रहते हैं,जिसने नयी किस्म वाले अंतरराष्ट्रीय सम्बंधों की मिसाल खड़ी की है और परिवर्तन और मुठभेड़ से भरे विश्व के लिए मूल्यवान स्थिरता लायी है।

इतिहास में बड़े देशों का सहअस्तित्व हमेशा एक कठिन मुद्दा रहा है। वर्तमान में कुछ पश्चिमी देश तथाकथित बड़े देशों की प्रतिस्पर्द्धा बढ़ा रहे हैं और विश्व में फूट डाल रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में चीन-रूस सम्बंध के स्थिर विकास से साबित है कि बड़े देश सहअस्तित्व का सही रास्ता निकाल सकते हैं और मजबूत द्विपक्षीय संबंध से विश्व के लिए विकास,सहयोग व सुरक्षा ला सकते हैं।

चीन-रूस सम्बंध का उच्च स्तर सबसे पहले मजबूत पारस्परिक राजनीतिक विश्वास से प्रतिबिंबित है। इसके अलावा आर्थिक व व्यापारिक सहयोग चीन-रूस सम्बंध का एक चमकदार बिंदु है। ध्यान रहे पिछले साल चीन-रूस व्यापार 2 खरब 40 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया। इसके अलावा चीन और रूस दोनों बड़े सांस्कृतिक देश हैं। श्रृंखलात्मक सांस्कृतिक आदान-प्रदान से चीन-रूस मित्रता की जन इच्छा प्रगाढ़ है।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन और रूस के घनिष्ठ समन्वय से कुछ पश्चिमी देशों की प्रभुत्ववादी कार्रवाई नियंत्रित करने में मददगार है और वैश्विक दक्षिण के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)  

Exit mobile version