19 मार्च को भारत में चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने भारत के प्रमुख अंग्रेजी अख़बार “टाइम्स ऑफ इंडिया” में एक लेख लिखा, जिसका शीर्षक था “भारत और चीन ड्रैगन-हाथी टैंगो हासिल कर सकते हैं।” इस लेख में उन्होंने अपने भारतीय दोस्तों के साथ तीन मुख्य बातें साझा कीं, जिन्हें उन्होंने तीन शब्दों— बढ़ोतरी, नवाचार और खुलेपन—के जरिए समझाया।
लेख में पहला बिंदु बढ़ोतरी पर था। उन्होंने लेख में लिखा कि इस साल की चीनी सरकारी कार्य रिपोर्ट व्यावहारिक और उद्यमशील है। इसमें “विकास” शब्द 141 बार और “सुधार” शब्द 40 से ज्यादा बार आया है। यह रिपोर्ट घरेलू और वैश्विक स्थिति को ध्यान में रखती है और आर्थिक बदलाव के दौर में नई और पुरानी ऊर्जा के बीच संतुलन बनाने की चीनी सरकार की सोच को दिखाती है। इसके लिए 2025 में मुख्य विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सक्रिय वित्तीय नीति और थोड़ी ढीली मौद्रिक नीति अपनाई जाएगी।
लेख में दूसरा बिंदु नवाचार पर था। उन्होंने लिखा कि चीनी वसंत त्योहार गाला में मानव रोबोटों ने शानदार नृत्य किया और डीपसीक ने दुनिया को हैरान कर दिया। इस साल के दो सत्रों में तकनीकी नवाचार चर्चा का बड़ा विषय रहा। सरकारी रिपोर्ट में “नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों का विकास” को अहम कार्य बताया गया है और वाणिज्यिक एयरोस्पेस व कम ऊंचाई वाली अर्थव्यवस्था जैसे नए उद्योगों को सुरक्षित तरीके से बढ़ाने की बात कही गई है।
लेख में तीसरा बिंदु खुलेपन के बारे में था। राजदूत के लेख के अनुसार, चीन की सरकारी कार्य रिपोर्ट में कहा गया कि बाहरी हालात चाहे जैसे हों, चीन हमेशा दुनिया के लिए खुला रहेगा। वह अपने संस्थागत खुलेपन को बढ़ाएगा और स्वतंत्र व एकतरफा खुलेपन को आगे ले जाएगा।
लेख में यह भी कहा गया कि चीन और भारत दोनों ही विकास और पुनरोद्धार के अहम दौर से गुजर रहे हैं। दोनों देशों के बीच विकास सबसे बड़ा साझा आधार है। चीन का उच्च गुणवत्ता वाला विकास और ऊंचे स्तर का खुलेपन भारत के लिए बड़ा बाजार, स्थिर आपूर्ति श्रृंखला और गहरे आर्थिक-व्यापारिक सहयोग के मौके ला सकता है।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)