“सभ्यता विविधता और वैश्विक मानवाधिकार शासन” के बारे में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 13 दिसम्बर को ऑनलाइन और ऑफलाइन के तरीके से आयोजित हुई। यह संगोष्ठी चीनी मानवाधिकार विकास कोष और चीनी एनजीओ अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही संवर्द्धन संघ द्वारा आयोजित की गयी।
संगोष्ठी में चीन, क्यूबा, स्विट्जरलैंड, पाकिस्तान, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और अन्य देशों से आए लगभग 50 विशेषज्ञों और विद्वानों ने चर्चा की। रूसी एशिया-प्रशांत अनुसंधान केंद्र के प्रभारी सनाकोयेव ने कहा कि चीनी लोग आत्मविश्वास के साथ भविष्य की ओर बढ़ते रहे हैं। इस शताब्दी के मध्य तक चीनी लोग और उच्ची गुणवत्ता वाले जीवन बिता सकेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा खुशहाल जीवन बिताना सबसे बड़ा मानवाधिकार है। चीन स्थित क्यूबा के राजनयिक मारियो अल्सी ने कहा कि चीन वैश्विक मानवाधिकार के प्रशासन में सक्रिय भूमिका अदा करता है। चीन समानता और आपसी सम्मान के आधार पर अनुभवों और संसाधनों को साझा करना चाहता है और विकासशील देशों के हितों की रक्षा करता है। मानवाधिकार की रक्षा में चीन का प्रभाव देश के सीमा को पार करता है।
जिनेवा स्थित अंतर्राष्ट्रीय लोकतांत्रिक वकील संघ(फ्रांस) के प्रतिनिधि मिकेल सवा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय चाहता है कि वैश्विक मानवाधिकार के प्रशासन में चीन और बड़ा योगदान देगा। चूंकि चीन न सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का प्रमुख भागीदार है, बल्कि चीन का लम्बा इतिहास और उज्जवल संस्कृति है। चीनी मानवाधिकार विकास कोष के उपपरिषद एवं महासचिव ज्वो फेंग ने अपने भाषण में अपील की कि रंग-बिरंगी मानव सभ्यताओं के मद्देनजर हमें सभ्यताओं की मुठभेड़ की दलील का दृढ़ विरोध करना चाहिए, किसी खास सभ्यता के प्रति भेदभाव को त्यागना चाहिए और सभ्यताओं की विविधता और आपसी आपूर्ति का पूरा सम्मान कर विश्व मानवाधिकार कार्य के स्वस्थ विकास को आगे बढ़ाना चाहिए।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)