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मानव की आजीविका के रूप में जल का करें उचित उपयोग

इस सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा जारी “2023 खाद्य और कृषि संबंधित सतत् विकास लक्ष्य संकेतक प्रगति रिपोर्ट” के मुताबिक, वर्ष 2022 में पूरी दुनिया में लगभग 9.2 प्रतिशत आबादी को दीर्घकालिक भूख का सामना करना पड़ा, जबकि वर्ष 2015 में यह अनुपात 7.9 प्रतिशत था। इस साल जुलाई में,.

इस सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा जारी “2023 खाद्य और कृषि संबंधित सतत् विकास लक्ष्य संकेतक प्रगति रिपोर्ट” के मुताबिक, वर्ष 2022 में पूरी दुनिया में लगभग 9.2 प्रतिशत आबादी को दीर्घकालिक भूख का सामना करना पड़ा, जबकि वर्ष 2015 में यह अनुपात 7.9 प्रतिशत था। इस साल जुलाई में, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन, कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व खाद्य कार्यक्रम आदि 5 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से जारी “2023 विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति की रिपोर्ट” के अनुसार, निरंतर विभिन्न संकट आने के कारण, वर्ष 2019 के बाद से, दुनिया भर में नए भूखे आबादी की कुल संख्या 12.2 करोड़ पहुंची और वर्तमान तक दुनिया में लगभग 73.5 करोड़ भूखे लोग रहते हैं।

हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। जैसे-जैसे वैश्विक खाद्य सुरक्षा संकट गंभीर हो रहा है, वर्ष 2022 के बाद, विश्व खाद्य दिवस का विषय “किसी को भी पीछे न छोड़ें” दोहराया जाता है। इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस का विषय है ” जल ही जीवन है, जल ही भोजन है । किसी को पीछे न छोड़ें।”

जल सीमित है, लेकिन जल एक असीम मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है। जल के बिना भोजन और जीवन असंभव है।कई सदियों पहले फसलों की सिंचाई के तरीकों की खोज हुई और कृषि व स्थायी समुदायों का जन्म हुआ। इससे लोगों के भोजन उत्पादन के तरीके में क्रांति आ गई और दुनिया भर में विभिन्न सभ्यताओं का उदय हुआ। सुमेर, असीरिया व बेबीलोन राज्यों को जन्म देने वाली टाइग्रिस व यूफ्रेट्स नदियों से मिस्र साम्राज्य की मातृ नदी नील नदी, भारत में सिंधु नदी व गंगा नदी और चीन में पीली नदी तक, विभिन्न सभ्यताओं के स्रोत स्थल अलग-अलग हैं, लेकिन इसकी उत्पत्ति जल से शुरू होती थी।

प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक, बसे हुए मानव समुदाय जल की गुणवत्ता और मात्रा से सीधे प्रभावित हुए हैं। लोगों को अधिक भोजन व अन्य बुनियादी कृषि उत्पाद पैदा करने के लिए कम पानी का उपयोग करने की आवश्यकता है। साथ ही, लोगों की जलीय खाद्य प्रणालियों की रक्षा करने की आवश्यकता है। किसी को भी पीछे न छोड़ने के लिए जल संसाधनों का समान व वैज्ञानिक वितरण सुनिश्चित करना आवश्यक है।

वहीं, पूरी दुनिया में 60 करोड़ से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए जलीय खाद्य प्रणालियों पर निर्भर हैं। अपनी विविधता से जलीय खाद्य प्रणाली मानव के पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होने के लिये एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत बनाती है। साथ ही, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में जलीय खाद्य पदार्थ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसके अलावा जलीय खाद्य प्रणालियाँ छोटे पैमाने के मछुआरों, मछली प्रसंस्करण कर्ताओं और उनके परिवारों की आजीविका को बनाए रखती हैं। वे तट और अंतर्देशीय समुदायों की रीढ़ हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करते हैं और दुनिया भर में संस्कृति को प्रभावित करते हैं।

जलीय पारिस्थितिकी तंत्र और उनके द्वारा समर्थित प्रजातियों को बनाए रखना और उनकी रक्षा करना न केवल एक जिम्मेदारी है, बल्कि ग्रह और उसके निवासियों की भलाई के लिए आवश्यक शर्त है।

मौजूदा जल चुनौतियों से निपटने के लिए, लोगों को कृषि-खाद्य प्रणालियों में जल का कुशल उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए, सुरक्षित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करने के तरीकों की खोज करनी चाहिए और वैश्विक जल व जलीय खाद्य प्रणालियों की रक्षा करनी चाहिए। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मांग के संदर्भ में सभी लोगों को किफायती और पौष्टिक भोजन का आहार करना चाहिए।

 लोगों को जल संसाधनों को संजोने और अपने दैनिक जीवन में उनके उपयोग के तरीके में सुधार करने की आवश्यकता है। लोग मौसमी, ताज़ा व स्थानीय खाद्य पदार्थों को चुनना, पानी व भोजन की बर्बादी कम करना और जल प्रदूषण को रोकते हुए पानी के पुन: उपयोग के सुरक्षित तरीके खोजना आदि उपयोगी प्रयास कर सकते हैं।

सरकारों को जल संसाधनों और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों की बेहतर योजना और प्रबंधन के लिए विज्ञान व साक्ष्य के आधार पर नीतियां विकसित करके डेटा, नवाचार और क्रॉस-सेक्टर समन्वय का उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्हें बढ़े हुए निवेश, कानून, प्रौद्योगिकी और क्षमता विकास के माध्यम से संबंधित नीतियों का समर्थन करने की आवश्यकता है। साथ ही उन्हें किसानों और निजी उद्यमों को एकीकृत समाधानों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इसीलिये वे जल संसाधनों और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का अधिक कुशल उपयोग और संरक्षण कर सकेंगे। सरकारों को पारंपरिक ज्ञान की शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए विज्ञान व नवाचार के माध्यम से जल संसाधनों की कमी और जल सुरक्षा मुद्दों का नया समाधान ढूंढना चाहिए। सुरक्षित जल और खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना सुनिश्चित करने के लिए साझेदारी और सहयोग भी काफी महत्वपूर्ण हैं। हर किसी के पास योगदान करने के लिए कुछ न कुछ ज़रूर है।

जल मानव जाति के सामान्य इतिहास, वर्तमान और भविष्य से होकर गुजरता है। आपस में जुड़ी हुई चुनौतियों के सामने, जल संसाधनों का वैज्ञानिक ढंग से उपयोग किया जना चाहिए ताकि सभी को पर्याप्त एवं पौष्टिक भोजन मिल सके। 

(साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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