टोरंटो : भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के विचारों की विदेशों में लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। जिसके कारण अब वहां का स्थानीय समाज भी सनातन के हर पहलू को नज़दीक से देखना, समझना और उससे जुड़ना चाहता है। यह विचार है कनाडा के सनातन क्लब के अध्यक्ष ध्रुव तनेजा के। जिक्रयोग है कि ध्रुव तनेजा कनाडा में उभरता हुआ नाम है जो हाल ही में टोरंटो के Seneca College Newnham Campus के कोर्डिनेटर का चुनाव भी जीते है। ध्रुव तनेजा एक पंजाबी हिंदू परिवार से मूल रखते है और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए कनाडा के धरती पर युवाओं में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करते रहते है।
श्री गणेश चतुर्थी के उपलक्ष पर भी उन्होंने कॉलेज परिसर में खूब धूम धाम से एक समागम आयोजित किया। जिसमे युवाओं के जयघोषों ‘गणपति बप्पा मोरियाँ’ से सारा कॉलेज परिसर गुंज उठा। इसके अतिरिक्त ढोल की तर्ज पर जमकर नाच-गाना भी हुआ और अंत में गणेश जी की आरती भी करी गई। इस कार्यक्रम के कारण कालेज का माहौल सनातनमय और आनंदमय हो उठा।
इस समागम में भारत के साथ साथ अन्य देशों के छात्रों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। और वहाँ मजूद सभी ने सनातन क्लब की इस पहल की प्रशंसा की और छात्रों का बड़ा हिस्से सनातन क्लब की सदस्यता लेकर क्लब के मेंबर बना। ध्रुव ने बताया की उनकी टीम ने पूरे वर्ष भर का एक कैलेंडर भी तैयार किया हुआ है। जिसके अंतर्गत उनकी टीम सनातन संस्कृति से जुड़े उत्सव, सनातन विचार के कार्यक्रम और सेमिनार पूरे वर्ष भर आयोजित करेंगे।
उन्होंने आगे बताया कि कनाडा पढ़ने आये भारतीय छात्रों में अपनी संस्कृति को लेकर गर्व है और वो इसके प्रकटीकरण के लिये वो यहाँ कोई फ़ोरम भी खोजते रहते है। उनकी टीम ने इसी विचार को ध्यान में रख कर ‘सनातन क्लब’ की स्थापना करी है। ध्रुव का कहना है विदेशी छात्र भी भारतीय संस्कृति और इसके भिन्न पहलुओं को बहुत पसंद करते है। और उसकी झलक आप गणेश उत्सव में उनकी भागीदारी से देख सकते है।
ध्रुव ने बताया की उन्हें अपनी भारतीय संस्कृति पर बहुत गर्व है, क्योंकि भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जो सीमाओं से ऊपर उठ कर सारे विश्व को ‘एक परिवार’ मानता है और ‘वसुदेव कूटुम्बकम’ की बात कहता है। ध्रुव ने कहा कि हर व्यक्ति को पहले किसी विचार को समझना चाहिये और फिर उस पर अपनी राय बनानी चाहिये। और उसने कहा कि हमारी संस्कृति की विशेषता यह है कि इसमें ‘मैं’ नहीं है, इसमें खुद को श्रेष्ठ साबित करने की दौड़ नहीं और ना ही यह किसी विचार की निंदा करता है। ऐसे उच्तम विचारों के कारण आज विश्व भर से हर कोई सनातन को देखना, समझना और इससे जुड़ना चाहता है।