अमेरिकी समाज में बढ़ती हिंसा की वजह?

इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है। गगनचुंबी इमारतों से भरा देश है, जहां बसने की चाहत हर इंसान के दिल में रहती है। हालांकि पिछले कुछ समय से अमेरिका में निरंतर ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं कि उसकी छवि के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है।  पिछले कुछ.

इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है। गगनचुंबी इमारतों से भरा देश है, जहां बसने की चाहत हर इंसान के दिल में रहती है। हालांकि पिछले कुछ समय से अमेरिका में निरंतर ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं कि उसकी छवि के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। 

पिछले कुछ समय से ऐसा लगा रहा है कि अमेरिका एक समाज के तौर पर कम सभ्य और कम सुरक्षित हो गया है। बच्चों के बीच बढ़ती हिंसा और एक के बाद एक हो रहे नस्लवादी हमले अमेरिका के भीतर और बाहर दोनों जगह सवाल खड़े कर रहे हैं।

ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अमेरिका में सामूहिक गोलीबारी की 200 से अधिक घटनाएं हुई हैं, जो एक दुर्भाग्यपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंच गई है। 25 मई को, जब दुनिया भर में गुमशुदा बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा था, तब अमेरिका के टेक्सास के एक स्कूल में एक दुखद शूटिंग हुई। 

इस भयानक घटना को अंजाम देने वाला अपराधी एक 18 साल युवक था। अफसोस की बात है कि डरा देने वाली इस घटना में 19 बच्चों और 2 शिक्षकों की जान चली गई। युवक के हिंसक इरादों की गंभीरता तब स्पष्ट हो जाती है जब यह विचार किया जाता है कि उसने विशेष रूप से दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा के बच्चों को निशाना बनाया। 

वहीं, एक और दुर्भाग्यपूर्ण शूटिंग की घटना न्यूयॉर्क में हुई, जहाँ 18 साल के एक लड़के ने एक सुपरमार्केट में अफ्रीकी-अमेरिकियों को निशाना बनाया। दुख की बात है कि इस हमले में 10 लोगों की मौत हो गई।

देखा जाए तो ये हिंसक घटनाएं अनायास नहीं हो रही हैं। वे अमेरिकी समाज के भीतर हिंसा के बढ़ते प्रसार को दर्शाते हैं। पिछले पांच वर्षों के आँकड़ों की समीक्षा करें तो पता चलता है कि स्कूलों में गोलीबारी के सैकड़ों मामले हैं। विशेष रूप से, साल 2018 में 24, 2019 में 25, 2020 में 10, 2021 में 42, और 2022 में सबसे ज्यादा 46 घटनाएं हुईं। यह आंकड़े केवल चिंताजनक ही नहीं, बल्कि डराने वाले भी हैं।

अमेरिका में बढ़ती हिंसा के कई कारण माने जा सकते हैं। हालाँकि, अमेरिकी थिंक टैंक के भीतर भी, एक धारणा है कि इस मुद्दे के पीछे प्रमुख कारण व्यापक “बंदूक संस्कृति” का होना है। इस देश में, बंदूक रखना अक्सर नागरिक स्वतंत्रता की धारणा से जुड़ा होता है। अमेरिका में बंदूक खरीदने की प्रक्रिया उतनी ही सीधी है, जितनी कि संवैधानिक अधिकारों के तहत संरक्षित फल, सब्जियां, या चॉकलेट जैसी रोजमर्रा की वस्तुएं खरीदना। 

माना जाता है कि इस देश में प्रति 100 लोगों के पास 120 बंदूकें हैं। हथियार घरों में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। दुर्भाग्य से, यह पहुँच बच्चों तक भी फैली हुई है, जिससे दुखद घटनाएँ होती हैं जहाँ बच्चे अनजाने में असली हथियारों से खेलते हैं, और अनजाने में ही अपने दोस्तों या भाई-बहनों की जान ले लेते हैं।

जब इन गोलीबारी की घटनाओं पर नजर डालते हैं, तो हम पाते हैं कि अधिकांश हमलावर इन स्कूलों के पूर्व या मौजूदा छात्र पाये जाते हैं। ये लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर इस घिनौनी हरकत को अंजाम देते हैं। उनमें से कई अपने घरों से हथियार लाते हैं, जहाँ पहुँचना आसान है। इसके अलावा, कुछ हमलावर बाहरी स्रोतों से हथियार प्राप्त करते हैं।

अब यह सवाल उठता है कि आखिर एक विकसित देश में ऐसा क्यों हो रहा है? हमें इस पर गहराई से विचार करने की जरूरत है। मनोवैज्ञानिकों का सुझाव है कि ज्यादातर मामलों में बच्चे पारिवारिक कलह, अवसाद या हीन भावना के कारण ऐसी हरकतों का सहारा लेते हैं। क्या अमेरिकी समाज में पारिवारिक जीवन की गतिशीलता बदल रही है? यह भी एक बड़ा सवाल है। 

यह समझना होगा कि अपनी जिंदगी आजादी के साथ जीने का मतलब यह नहीं है कि परिवार के महत्‍व को ही भूल जाएं। अमेरिकी समाज में तलाक लेना भी एक आम सी बात हो गई है, जिसका सीधा असर बच्‍चों के भविष्‍य पर पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में बच्चे माता-पिता दोनों की उपस्थिति के बिना बड़े होते हैं और जैसे-जैसे वे मैच्योर होते हैं, उन्हें माता और पिता दोनों के समर्थन की आवश्यकता होती है। 

अमेरिकी परिवार इस मौलिक सिद्धांत को ही भूल बैठे हैं और जिसका सीधा असर उनके बच्‍चों की प‍रवरिश पर पड़ रहा है। समस्‍याएं तो हर परिवार में होती हैं लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि बच्‍चों के प्रति अभिभावक अपनी जिम्‍मेदारी से ही मुंह मोड़ लें।

यहां अमेरिकी समाज को भारतीय समाज से सीख लेनी चाहिए। हमारे यहां आज भी संयुक्त परिवार की प्रथा है। बीच-बीच में शहरों और कस्बों में रहने वाले लोग भी कुछ समय के लिए एकल परिवार की राह पर चल पड़े थे, लेकिन जैसे ही इसके नकारात्मक परिणाम सामने आए, वे फिर से अपनी जड़ों की ओर लौटने लगे। संयुक्त परिवार न केवल माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चों को सुरक्षा प्रदान करते हैं बल्कि उनमें सामाजिक मूल्यों की समझ भी पैदा करते हैं।

इसके अलावा, अमेरिकी सरकार को हिंसा के बढ़ते चक्र को रोकने के लिए निर्णायक उपायों को लागू करना चाहिए। यह पहचानना अति आवश्यक है कि हिंसा कोई समाधान नहीं देती है। वर्तमान रूस-यूक्रेन संघर्ष, जो पिछले एक-डेढ़ सालों से जारी है, इस तथ्य का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

और हां, सुरक्षा की बात कहकर हर हाथ में बंदूक थमा देना कोई हल नहीं हो सकता। खासकर एक सुरक्षित समाज में तो ऐसा बिल्‍कुल नहीं होना चाहिए। यदि अमेरिकी सरकार का उद्देश्य अपने बच्चों के भविष्य की रक्षा करना है, तो उसे पहले व्यापक “बंदूक संस्कृति” को मिटाना होगा, जो समाज के हर पहलू में व्याप्त है।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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