नई ऊंचाई की ओर शंघाई सहयोग संगठन

भारत के खूबसूरत समुद्रतटीय शहर गोवा में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक पूरी हो गई। इस बैठक में जुलाई में प्रस्तावित संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक का एजेंडा पर चर्चा हुई। संगठन की अब तक आधिकारिक भाषा रूसी और मंदारिन है। इस बार अंग्रेजी को भी संगठन की भाषा बनाने पर चर्चा हुई। ईरान और.

भारत के खूबसूरत समुद्रतटीय शहर गोवा में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक पूरी हो गई। इस बैठक में जुलाई में प्रस्तावित संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक का एजेंडा पर चर्चा हुई। संगठन की अब तक आधिकारिक भाषा रूसी और मंदारिन है। इस बार अंग्रेजी को भी संगठन की भाषा बनाने पर चर्चा हुई। ईरान और बेलारूस को संगठन का नियमित सदस्य देश बनाने पर भी चर्चा हुई। उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी सत्रों और बैठकों में ये प्रस्ताव मंजूर हो जाएंगे।

इक्कीसवीं सदी को एशिया की सदी कहा जाता है। शंघाई सहयोग संगठन के आठ सदस्य देशों में रूस ऐसा है, जिसकी सीमाएं यूरोप में भी हैं। वैसे यहां उन्नीसवीं सदी के सामरिक चिंतक हॉफर्ड मैकिंडर ने कहा था कि दुनिया उसकी होगी, जो यूरेशिया पर राज करेगा। विश्व की जीडीपी में 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाले शंघाई सहयोग संगठन के देशों का दायरा जिस तरह बढ़ रहा है, उम्मीद की जानी चाहिए कि हॉफर्ड की सोच जल्द चरितार्थ होगी। बशर्तें कि संगठन के देश आपसी सहयोग के रास्ते पर आगे बढ़ते रहें। वैसे भी यह संगठन दुनिया की 42 फीसद आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। जाहिर है कि यह बहुत महत्वपूर्ण संगठन है। 

इस बैठक में जहां भारत की ओर से आतंकवाद का मुद्दा उठाया गया, वहीं चीन के विदेश मंत्री ने सदस्य देशों से अपील की, कि पश्चिमी देशों की दखलंदाजी को सदस्य देश मिलकर विरोध करें। भारत पहले ही रूस को सलाह दे चुका है कि दुनिया बदल चुकी है, लिहाजा यूक्रेन मामले में उसे बातचीत से रास्ता तलाशना चाहिए। भारत के पास चूंकि इन दिनों इस संगठन की अध्यक्षता है, लिहाजा गोवा बैठक में उसका असर नजर आना स्वाभाविक है। वैसे भारत ने साल 2018 में एसईसीयूआरई यानी सिक्योर का जो फ्रेमवर्क दिया था, वह अब भी प्रभावी है। इसमें एस से मतलब है, सिक्योरिटी यानी सुरक्षा, ई का मतलब है इकोनॉमिक कारपोरेशन यानी आर्थिक सहयोग, सी का मतलब कनेक्टिविटी यानी जुड़ाव, यू का मतलब यूनिटी यानी एकता, आर का मतलब रिस्पेक्ट फॉर सॉवर्निटी एंड इंटीग्रिटी यानी संप्रभुता व अखंडता को लेकर एक-दूसरे का सम्मान और ई का मतलबन एनवायरन्मेंट प्रोटेक्शन यानी पर्यावरण सुरक्षा का एजेंडा दिया था। संगठन मोटे तौर पर भारत के इस एजेंडे के तहत काम करने को सहमत नजर आ रहा है। दुनिया की अभी जो स्थिति है, उसमें अमेरिका की अगुआई वाले पश्चिमी देशों का बोलबाला है। शंघाई सहयोग संगठन के जरिए चीन और रूस विश्व व्यवस्था में पश्चिमी देशों के वर्चस्व को चुनौती देने की तैयारी में हैं। 

इस बीच दुनिया के प्राचीनतम शहरों में शुमार भारत के बनारस को शंघाई सहयोग संगठन की पर्यटन राजधानी घोषित किया गया है। एशिया की थाती यहां की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें भारतीय आयुर्वेद का महत्व कोरोना काल में स्थापित भी हुआ है। इसे लेकर संगठन में अलग से ग्रुप भी बना है। चीन की ओर से बेल्ट रोड इनीशियटिव लिया गया है, वह भी सदस्य देशों के बीच संतुलन बनाने का जरिया बन सकता है। भारत और चीन मिलकर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। संगठन अगर रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को रोकने में कामयाब रहता है, दोनों देशों को एक संतुलित विचारबिंदु पर ला सकता है तो संगठन की वैश्विक महत्ता अपने आप स्थापित हो जाएगी। यह अमेरिकी अगुआई वाले पश्चिमी देशों को बड़ी चुनौती भी होगी। वैसे संगठन की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसकी संतुलित सक्रियता का फायदा मध्य एशिया के देशों को लगातार मिल रहा है। यही वजह है कि अब ईरान और बेलारूस भी इसकी सदस्यता के लिए व्यग्र हैं। गोवा बैठक से संगठन की बहुत सारी उम्मीदें अगर फलीभूत होती नजर आ रही हैं तो यह भी संगठन की सफलता ही मानी जाएगी।

(उमेश चतुर्वेदी,वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)

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