चीन-आसियान एक्स्पो के जरिए शांति और स्थिरता की तलाश

इसके साथ ही यह मंच इन देशों के बीच आपसी कारोबार और व्यापार बढ़ाने, अपने-अपने उत्पादों को नया बाजार मुहैया कराने का भी महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है।

चीन आसियान एक्स्पो, दुनिया की दूसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति चीन और आसियान संगठन के संयुक्त आयोजन की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में से एक है। इस मंच ने आसियान देशों और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के व्यापारियों और उद्यमों के लिए व्यापारिक तालमेल बनाने और आपसी कारोबार बढ़ाने का दुनिया का बड़ा मंच है। इसके साथ ही यह मंच इन देशों के बीच आपसी कारोबार और व्यापार बढ़ाने, अपने-अपने उत्पादों को नया बाजार मुहैया कराने का भी महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है।

इसका उदाहरण है इस चीन के क्वांग्शी च्वांग प्रदेश की राजधानी नाननिंग में हुए आयोजन में पहले ही दिन हुए समझौते। पहले ही दिन यानी 24 सितंबर को इस आयोजन में 109 कारोबारी समझौते होना मामूली बात नहीं है। चीन के वरिष्ठ अधिकारियों और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ आसियान के सदस्य देशों ने इस मंच के जरिए हो रही साझेदारी की सराहना की है। अधिकारियों का मानना है कि इस मंच के जरिए क्षेत्रीय प्रगति, कारोबारी लचीलापन और साझा समृद्धि को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल किया जा चुका है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि इस आयोजन में आसियान देशों और चीन की करीब 3000 कंपनियों ने हिस्सा लिया। इस मंच की सफलता और अहमियत को जाहिर करता है चीन के उप प्रधानमंत्री डिंग जुएजियांग द्वारा उद्घाटन भाषण में जाहिर किए गए उद्गार। उन्होंने कहा कि चीन और आसियान के बीच बातचीत ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के सबसे सफल और गतिशील मॉडल के रूप में काम किया है, और साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण का एक ज्वलंत उदाहरण है, जो मानवता पर आधारित है। इस आयोजन के जरिए चीन और आसियान देशों ने एक-दूसरे की कारोबारी समृद्धि में बड़ी भूमिका तो निभाई ही है, पड़ोसी धर्म का भी बेहतरी से पालन कर रहा है। हालांकि कुछ अपवाद भी जरूर हैं।

इस मंच की भूमिका ही कही जाएगी कि चीन जहां 15 वर्षों से आसियान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना है तो आसियान लगातार चार वर्षों से चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। एक आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, चीन और आसियान देशों के बीच आपसी निवेश 400 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। इसे और बढ़ाने के लिए दोनों पक्ष और प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि दोनों पक्ष वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार में आपसी सहयोग बढ़ाने के साथ ही, नए क्षेत्रों का पता लगाने और आपसी बातचीत के जरिए नई राहें खोजने को लेकर सहमति जता रहे हैं।

हा है। इस वजह से मलयेशिया के प्रधानमंत्री को इस आयोजन के उद्घाटन समारोह में आपसी संबंधों को गहराई से याद किया। मलयेशिया के प्रधानमंत्री इब्राहिम अनवर का यह कहना आज की जरूरत है कि भूराजनीतिक तनाव और अन्य चुनौतियों के सामने, इस मंच को क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए प्रयास करना चाहिए। लाओस इन दिनों आसियान की अध्यक्षता कर रहा है। चीन –आसियान एक्स्पो के जरिए इन देशों के बीच सिर्फ कारोबारी ही नहीं, पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। यूरोप और पश्चिमी एशिया में इन दिनों बारूदों की गंध भरी हुई है। दुनिया शांति की मांग कर रही है। ऐसे माहौल में अगर चीन-आसियान एक्स्पो क्षेत्रीय स्थिरता और शांति स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक— उमेश चतुर्वेदी)

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