विकास के लिए स्मॉल इज ब्यूटीफुल के सिद्धांत

पिछली सदी में ब्रिटेन के मशहूर अर्थशास्त्री हुए ईएफ शुमाकर…’उनकी एक किताब है स्माल इज ब्यूटीफुल’ यानी छोटा ही सुंदर है। इसमें उन्होंने बड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ी कंपनियों के वर्चस्व की बजाय छोटी कंपनियों और छोटी अर्थव्यवस्थाओं पर फोकस करने की वकालत की थी। कोरोना की महामारी के बाद चीन की सरकार भी इसी सिद्धांत.

पिछली सदी में ब्रिटेन के मशहूर अर्थशास्त्री हुए ईएफ शुमाकर…’उनकी एक किताब है स्माल इज ब्यूटीफुल’ यानी छोटा ही सुंदर है। इसमें उन्होंने बड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ी कंपनियों के वर्चस्व की बजाय छोटी कंपनियों और छोटी अर्थव्यवस्थाओं पर फोकस करने की वकालत की थी। कोरोना की महामारी के बाद चीन की सरकार भी इसी सिद्धांत पर आगे बढ़ने लगी है। चीन सरकार ने विदेशों में बुनियादी ढांचे वाली अपनी परियोजनाओं से जुड़ी नीति में बड़ा बदलाव लाया है। अब वह छोटी परियोजनाओं में निवेश करने लगा है। मल्टीबिलियन और मल्टी नेशनल कारपोरेशनों के वर्चस्व के दौर में चीन का यह कदम वैश्विक आर्थिकी के लिए ताजा कदम माना जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने दुनियाभर के देशों के बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में बड़ा निवेश किया है। कोरोना के चलते उन परियोजनाओं का काम रूका और निश्चित तौर पर इसका आर्थिक खामियाजा चीन को भी भुगतना पड़ा है। माना जा रहा है कि इसके बाद ही चीन ने अपनी नीति में परिवर्तन लाने के लिए तैयार हुआ और शुमाकर की कल्पना के मुताबिक ‘स्मॉल इज ब्यूटीफुल’ का सिद्धांत अपना लिया।

निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में इसका सीधा फायदा जहां निवेश किए गए इलाकों को मिलेगा, वहीं चीन की आर्थिकी भी एक बार फिर तेजी से गति पकड़ेगी। अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, चीन के दो बड़े बैंकों ने 2020 और 2021 में 10.5 बिलियन डॉलर के 28 नए कर्ज जारी किए। यूनिवर्सिटी के ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिसी सेंटर के अध्ययन के मुताबिक इस आंकड़े से स्पष्ट है कि चीन की नीतियों में कम से कम निवेश के स्तर पर सकारात्मक बदलाव आया है। चीन की ओर से विदेशों में जो निवेश होता है, उसके प्रमुख कारक चाइना डेवलपमेंट बैंक यानी सीडीबी और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना यानी चाइना एग्जिम बैंक ही हैं। ये ही विदेशी परियोजनाओं को कर्ज और मदद देते हैं। ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिसी सेंटर ने इन दोनों बैंकों के आंकड़ों के आधार पर ही अपनी रिपोर्ट तैयार की है।

चीन ने विदेशी विकास परियोजनाओं में निवेश 2008 से शुरू किया था। तब से 2021 तक उसने 1,099 परियोजनाओं के लिए कर्ज दिया है। इनके लिए वह 498 बिलियन डॉलर का ऋण जारी कर चुका है। बॉस्टन यूनिवर्सिटी स्थित रिसर्चर और इस रिपोर्ट की लेखिका रिबेका रॉय ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बातचीत में स्वीकार किया है कि चीन की ओर से दिए जाने वाले विदेशी कर्ज में कमी आई है। इसकी वजह चीन की छोटी परियोजनाओं में निवेश है। रॉय के मुताबिक, ‘हाल के दिनों में चीन ने स्मॉल इज ब्यूटीफुल का नजरिया अपनाया है। इसके तहत अपेक्षाकृत छोटी और लक्ष्य-केंद्रित परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि अब चीन का जोर ऐसी परियोजनाओं पर है, जिनका भौगोलिक दायरा छोटा हो, और जिनमें जोखिम कम हो।

यहां याद करना जरूरी है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नवंबर 2021 में बेल्ट एंड रोड फोरम को संबोधित करते हुए ‘उच्च गुणवत्ता वाली छोटी और सुंदर परियोजनाओं’ में निवेश को प्राथमिकता देने की बात कही थी। उनका जोर टिकाऊ परियोजनाओं के साथ ही लोगों की आजीविका में सुधार करने वाली योजनाओं पर था। इसी का असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। जिन देशों में सार्वजनिक प्रशासन संबंधी परियोजनाओं के लिए चीन ने कर्ज जारी किए हैं, उनमें पाकिस्तान, श्रीलंका, तुर्किये, अंगोला, त्रिनिडाड और टोबैगो शामिल हैँ। रिबेका रॉय के मुताबिक, चीन का यह बदला नजरिया जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बेहतर है और इससे पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा। इसके साथ परियोजना वाले देशों की स्थानीय आबादी के हित भी सधेंगे।

(उमेश चतुर्वेदी,वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)

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