2025 का वसंत महोत्सव (चीनी चन्द्र कैलेंडर में सर्प का वर्ष) निकट आ रहा है। सांप बारह चीनी राशियों में से एक है। सांपों के संबंध में पूर्वी और पश्चिमी संस्कृतियों के बीच काफी अंतर है।
पश्चिमी संस्कृति में सांपों को अक्सर बुराई और प्रलोभन से जोड़ा जाता है। इसका सबसे विशिष्ट उदाहरण बाइबल की कहानी है, जिसमें सांप ने आदम और हव्वा को निषिद्ध फल खाने के लिए प्रलोभित किया, और इस प्रकार वह मानव विनाश का स्रोत बन गया। प्राचीन ग्रीक पौराणिक कथाओं में सर्प-बालों वाला राक्षस मेडुसा भी आतंक और मृत्यु का प्रतीक है।
लेकिन चीन और भारत, दोनों प्रमुख पूर्वी देशों में सांपों के प्रति समान श्रद्धा और आस्था है। चीन में सांपों की पूजा मुख्य रूप से टोटेम पूजा, प्रजनन पूजा और शाही शक्ति के प्रतीकों में परिलक्षित होती है।
सांप चीनी राष्ट्र का सबसे प्राचीन कुलदेवता है, इसकी पूजा का इतिहास प्राचीन काल से ही देखा जा सकता है। चीन की प्राचीन पुस्तक “क्लासिक ऑफ माउंटेंस एंड सीज़” में नाग देवताओं के कई अभिलेख हैं। इसके अलावा, सांप के पैटर्न का उपयोग जेड, कांस्य, चीनी मिट्टी और अन्य कलाकृतियों में भी व्यापक रूप से किया जाता है, जो सांपों के प्रति प्राचीन लोगों के सम्मान को दर्शाता है।
चूंकि सांपों में प्रजनन क्षमता प्रबल होती है, इसलिए उन्हें प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है। सांपों की यह प्रजनन पूजा प्राचीन चीनी पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों में परिलक्षित होती थी: मानव जाति के दो पूर्वज, फूक्सी और न्युवा, दोनों के चेहरे मानव और शरीर सांप के थे, और मनुष्य तो इन दो देवताओं के संभोग से पैदा हुए थे।
जब बात शाही शक्ति के प्रतीक की आती है, तो कृषि अर्थव्यवस्था और शासकों के पक्ष में, साँप की छवि को धीरे-धीरे कई अवधारणाएं दी गईं और अंततः ड्रैगन की छवि में विकसित हुई। सम्राट लुंगफाओ (Dragon robe) पहनते थे और अधिकारी मांगफाओ (python robe) पहनते थे, जो ड्रैगन और सांपों तथा शाही शक्ति के बीच संबंध को दर्शाता था।
इसी प्रकार, भारतीय संस्कृति में सांपों का भी बहुत गहरा प्रतीकात्मक अर्थ है। भारत में प्रमुख धर्मों का मानना है कि साँप दीर्घायु, प्रजनन क्षमता का प्रतीक होते हैं। कई बांझ जोड़े सांपों के मंदिरों में जाकर सांपों के देवता से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। भारतीयों का यह भी मानना है कि सांप धन का प्रतीक हैं और सांपों का अपना भूमिगत साम्राज्य है, जो अनगिनत खजानों से भरा हुआ है। भारतीय पौराणिक कथाओं में, सांप मुख्य देवताओं में से एक है जो ब्रह्मांड की व्यवस्था को बनाए रखता है और पुनर्स्थापित करता है तथा शक्तिशाली ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीयों का मानना है कि सांप पूर्वजों की आत्माओं का अवतार हैं और घर के रक्षक हैं। उनके अलावा, भारत में सांपों से संबंधित समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाज हैं, जैसे सांप मंदिर, सांप नृत्य, सांप नौका दौड़ और सांप उत्सव इत्यादि।
चीन और भारत दोनों महान पूर्वी देश हैं और दोनों में सांपों के प्रति पूजा और श्रद्धा की भावना है। जब संस्कृतियां आपस में जुड़ी होंगी तभी लोग आपस में आसानी से समझ सकेंगे। आशा है कि सर्प वर्ष चीन और भारत दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान और संचार के नए अवसर लेकर आएगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)