China के विरोध के बीच अमेरिकी प्रतिनिधिसभा के अध्यक्ष और ताइवान की राष्ट्रपति ने की मुलाकात

सिमी वैलीः चीन के आक्रामक रवैये के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधिसभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की मेजबानी की और उन्हें ‘‘अमेरिका की एक करीबी मित्र’’ बताया। चीन के साथ अनावश्यक रूप से बढ़ते तनाव से बचने के लिए दोनों नेता बयान जारी करते समय सावधानी बरतते नजर आए। हालांकि दोनों.

सिमी वैलीः चीन के आक्रामक रवैये के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधिसभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की मेजबानी की और उन्हें ‘‘अमेरिका की एक करीबी मित्र’’ बताया। चीन के साथ अनावश्यक रूप से बढ़ते तनाव से बचने के लिए दोनों नेता बयान जारी करते समय सावधानी बरतते नजर आए। हालांकि दोनों नेता कैलिफोर्निया में रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में एकजुटता दिखाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए नजर आए और ताइवान सरकार के खिलाफ चीन के खतरे को स्वीकार करते हुए दीर्घकालिक अमेरिकी नीति को बनाए रखने की बात की हैं।

मैक्कार्थी ने मुलाकात के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, कि ‘ताइवान के लोगों के लिए अमेरिका का दृढ़, अटूट समर्थन कायम रहेगा।’’ मैक्कार्थी ने कहा कि अमेरिका-ताइवान संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं। वहीं साई ने कहा, कि ‘दृढ़ समर्थन ताइवान के लोगों को आश्वस्त करता है कि हम अलग-थलग नहीं हैं।’’ साई ने कहा कि भेंटवार्ता के दौरान उनदोनों ताइवान की आत्मरक्षा, मजबूत व्यापार और आíथक संबंधों को बढ़ावा देने तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा बनने की द्वीप (ताइवान) सरकार की क्षमता का समर्थन करने के महत्व पर बात की हैं। दोनों ही नेताओं ने चीन के हमला करने की सूरत में ताइवान की रक्षा के लिए अधिक अमेरिकी प्रतिबद्धता के आह्वान का कोई उल्लेख नहीं किया।

साई ने कहा कि उन्होंने सांसदों के समक्ष ‘‘शांतिपूर्ण यथास्थिति का बचाव करने, जिससे ताइवान में लोग स्वतंत्र एवं मुक्त समाज में रह सकें’’ की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने साथ ही आगाह किया, ‘‘ यह किसी से छिपा नहीं है कि आज हमने जिस शांति को बनाए रखा है और जिस लोकतंत्र को बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, वे अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।’’ साई ने कहा, कि ‘हम एक बार फिर खुद को ऐसी दुनिया में पाते हैं जहां लोकतंत्र खतरे में है और आजादी की रोशनी कायम रखने की जरूरत को कम करके नहीं आंका जा सकता।’’ चीन सरकार का दावा है कि ताइवान उसके राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा है, जबकि ताइवान की वर्तमान सरकार का कहना है कि यह स्वशासित द्वीप पहले से ही संप्रभु है और चीन का हिस्सा नहीं है।

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