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चीन के दो सत्रों पर भारतीय प्रोफेसर स्वर्ण सिंह के साथ खास बातचीत

जैसा कि हम जानते हैं कि चीन में इन दिनों महत्वपूर्ण दो सत्रों का आयोजन हो रहा है। जिस पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है। दो सत्रों को चीन का सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम भी कहा जाता है। जो कि चीन की विकास रणनीति आदि को जानने और समझने की अहम खिड़की माने जाते हैं।

इस मौके पर सीएमजी संवाददाता अनिल पांडेय ने बात की दिल्ली स्थित जेएनयू में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रो. स्वर्ण सिंह के साथ।

प्रो. सिंह कहते हैं कि इन दो सत्रों के जरिए समूचे विश्व को चीन की अहम नीतियों की दिशा और जानकारी हासिल होती है। जाहिर है कि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ऐसे में चीन द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है, इसको लेकर हर किसी को जिज्ञासा रहती है। क्योंकि पूरी दुनिया और दुनिया की वृद्धि दर पर इसका प्रभाव पड़ता है। 

चीन के प्रधानमंत्री ली छ्यांग द्वारा एनपीसी के समक्ष पेश वार्षिक कार्य रिपोर्ट को विश्व भर में ध्यान से देखा जा रहा है। क्योंकि प्रधानमंत्री को देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक वृद्धि दर के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। 

जैसा कि उन्होंने इस बार की रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने इस साल 5 फीसदी की वृद्धि दर को बनाए रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह अपने आप में एक अच्छा संदेश है। इसका मतलब है कि चीन को भरोसा है कि हाल के वर्षों में फैली कोरोना महामारी के बाद की धीमी वृद्धि दर में एक नयी तेजी लायी जा सकती है। चिंता और चुनौतियां जरूर मौजूद हैं, लेकिन अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किये जाने पर फोकस किए जाने की बात कही गयी है। जो कि अच्छी बात है, क्योंकि चीन इस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है। 

चीन उच्च गुणवत्ता वाले आर्थिक विकास की बात करता है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों की अवधारणा पर प्रो. सिंह कहते हैं कि इसके माध्यम से चीन के नेता उत्पादन को और बेहतर करना चाहते हैं। साथ ही चीन जितना अधिक उत्पादन करता है, उसे बनाए रखने की कोशिश होती है। जाहिर है इसका असर चीनी नागरिकों के साथ-साथ अन्य देशों पर भी देखने को मिलेगा। 

चीनी शैली के आधुनिकीकरण को लेकर जेएनयू के प्रोफेसर सिंह ने कहा कि चीन हमेशा इसे सामने रखकर अपने निर्णय लेता रहा है। इसकी वजह साफ है कि चीन एक प्राचीन सभ्यता वाला देश है, चीन का अपना दर्शन है, अपना दृष्टिकोण है कि चीजों को किस तरह से अच्छे ढंग से पेश किया जाए।

ऐसे में कहा जा सकता है कि चीन के दो सत्रों से चीन की सोच और नजरिए का स्पष्ट तौर पर अंदाजा होता है। 

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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