हर साल 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किया जाता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में चाय के योगदान को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए भारत के इस प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने मुहर लगाते हुए 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का एलान किया।
भारत में चाय न केवल एक पेय है, बल्कि यह देश की संस्कृति का एक अंग भी है। घर आए मेहमानों का स्वागत चाय पिलाकर करना भारतीय सभ्यता में शुमार है। भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में चाय पिलाने का रिवाज है।
वहीं, अगर भारत के पड़ोसी देश चीन की बात करें तो चाय चीनियों के रोज़मर्रा के जीवन में सबसे अधिक जरूरत की चीज़ों में से एक है। वर्तमान में चीन दुनिया में चाय का सबसे बड़ा निर्यातक है, और भारत दुनिया का सबसे बड़ा चाय उपभोगता देश है।
चीन में चाय पीने का इतिहास लगभग 4 हजार साल पुराना है। चाय का महत्व इस बात से भी जाहिर हो जाता है कि चीनी लोगों के जीवन की जिन सात बुनियादी आवश्यकताओं की बात की जाती है, उनमें चाय भी एक है। चीन में मेहमानों को चाय पिलाने का रिवाज़ है। मेहमान और मेज़बान अक्सर कमरे में बैठे हुए चाय पीते और बातचीत करते हुए देखे जा सकते हैं। चाय पीने के साथ-साथ बातचीत करने का एक अच्छा माहौल तैयार हो जाता है।
चाय की विशेष संस्कृति
चीन में चाय सिर्फ पीने की एक चीज़ नहीं है, बल्कि यह एक विशेष सांस्कृतिक प्रवृत्ति भी है। प्राचीन काल से आज तक चीन की विभिन्न जगहों में चाय पीने के लिए रेस्तरां और चायघर मौजूद हैं। चीन की राजधानी बीजिंग में सबसे समृद्ध छियानमन सड़क के किनारे अनेक चायघर दिखाई देते हैं। लोग वहां चाय पीते, खाना खाते और प्रदर्शन देखते हुए आराम फरमाते हैं।
उधर, दक्षिणी चीन में ऐसे चायघर भी हैं जिन्हें विशेष तौर पर मनोहर दृश्यों वाली जगहों पर बनाया जाता है, ताकि पर्यटक चाय पीते समय सुन्दर दृश्यों का आनंद भी उठा सके।
लेकिन चीन में सब जगह चाय पीने की आदतें अलग-अलग हैं। विभिन्न जगहों के लोग विभिन्न किस्मों की चाय पीना पसंद करते है। जैसे कि बीजिंग वासियों को फूलों वाली चाय पीना पसंद है। पर शांगहाई वासियों को हरी चाय पीना पसंद है। दक्षिणी चीन के फूच्येन प्रांत में लोगों को काली चाय पीने का शौक है।
दक्षिणी चीन के हूनान प्रांत में लोगों को चाय में नमक डालने की आदत है। नमक के अलावा वे चाय में अदरक, सोयाबीन और तिल आदि भी डालते हैं। चाय पीने के बाद उन्हें इन सभी चीज़ों को मुंह में रखकर चबाना पसंद है। इसलिए इन क्षेत्रों में चाय पीना नहीं, बल्कि चाय खाना कहने का चलन है।
चीन में चाय बनाने के अलग-अलग ढंग हैं। पूर्वी चीन में लोग बड़े बरतन में चाय रखते हैं। जब मेहमान घर आते हैं, तब मेज़बान उस चाय के बरतन में चाय के साथ पानी डालकर उसे आग के ऊपर रखकर उबालते हैं और फिर वे छोटे-छोटे कपों से चाय पीते हैं। चीन के दूसरे क्षेत्रों में चाय पीने का ढंग कुछ अलग ही है।
दक्षिणी चीन के फूच्येन प्रांत में लोग कूंफू नामक चाय पीते हैं। पर यह कूंफू चाय फिल्मों में दिखाये जाने वाले कूंफू से बिल्कुल अलग है। वास्तव में इस जगह को कूंफू चाय पीने की एक विशेष कला के रूप में जाना जाता है।
चाय पीने का रिवाज़
चीन के विभिन्न क्षेत्रों में चाय पीने का रिवाज़ भी अलग-अलग है। राजधानी बीजिंग और उत्तरी चीन के कुछ क्षेत्रों में अगर मेज़बान मेहमान को हाथ से चाय सौंपने आते हैं, तो मेहमान को तुरंत ही उठकर दोनों हाथों से चाय का कप पकड़ना चाहिये और धन्यवाद बोलना चाहिये।
दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग और क्वांगशी प्रातों में जब मेज़बान मेहमान के सम्मान में उनके कप में चाय डाल रहा होता है, तो मेहमान उस समय अपनी उंगलियों से मेज़ को तीन बार थपथपाते हैं। चीन के दूसरे क्षेत्रों में अगर मेहमान ज्यादा चाय पीना चाहता है, तो वह अपने कप में थोड़ी चाय छोड़ता है। अगर ऐसा नहीं किया तो मेज़बान समझेगा कि उसे और अधिक चाय नहीं पीनी, तो वह उनके चाय के कप में और चाय नहीं डालेगा।
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)