तकनीकी नाकाबंदी का हमेशा विपरीत प्रभाव पड़ता है

अमेरिका ने चीन को सभी हाई-एंड चिप्स के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए एक सख्त चिप बिल जारी की है। हालाँकि, सुप्रसिद्ध अमेरिकी उद्यमी बिल गेट्स ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका की नीतियों से केवल चीन को अपने स्वयं के चिप्स के निर्माण में निवेश करने के लिए मजबूर.

अमेरिका ने चीन को सभी हाई-एंड चिप्स के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए एक सख्त चिप बिल जारी की है। हालाँकि, सुप्रसिद्ध अमेरिकी उद्यमी बिल गेट्स ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका की नीतियों से केवल चीन को अपने स्वयं के चिप्स के निर्माण में निवेश करने के लिए मजबूर करेगा, और अमेरिका चीन को प्रगतिशील चिप्स होने से सफलतापूर्वक नहीं रोक सकता है।

अमेरिका स्वाभाविक रूप से हाई-टेक उद्योग में अपने वर्चस्व को सदैव बनाए रखना चाहता है। लेकिन इसे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा पर आधारित होनी चाहिए। अपने तकनीकी वर्चस्व को बनाए रखने के लिए दूसरे देशों के विकास को रोक देना अनुचित है। और इससे वैश्विक उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को नुकसान पहुंचाया जाएगा। यहां तक कि अमेरिका में कई लोगों ने सरकार के “चिप एंड साइंस एक्ट” पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिकी सेमीकंडक्टर उद्योग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर है, और चीन से “डिकॉप्लिंग” करने से अमेरिका को बड़ी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी। उधर बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की भविष्यवाणी के अनुसार, चीन के साथ पूरी तरह से “डिकॉप्लिंग” करने से अमेरिकी सेमीकंडक्टर उद्योग वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 18% और राजस्व का 37% खो देगा, और 15,000 से 40,000 उच्च अंत नौकरियों को कम कर देगा।

अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ “डिकॉप्लिंग” करने की कोशिशें कोई स्मार्ट उपाय नहीं है। वास्तव में, जिस तरह से किसी के अपने फायदे को बनाए रखने में मदद मिलती है वह नाकाबंदी नहीं है, बल्कि खोलना और डंप करना है। उदाहरण के लिए, माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज और ऑफिस को अपने लगभग असीमित खुलेपन के साथ पूरे विश्व बाजार पर मजबूती से कब्जा कर लिया है, जिससे अन्य देशों द्वारा विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम और कार्यालय सॉफ्टवेयर प्रतिस्पर्धा करने में बिल्कुल असमर्थ हुए। वर्तमान में, कार्यालय सॉफ्टवेयर बाजार मूल रूप से माइक्रोसॉफ्ट का प्रभुत्व है। लेकिन, अगर माइक्रोसॉफ्ट चीनी बाजार से हटता हो, तो चीन का घरेलू सॉफ्टवेयर तुरंत विकसित होने और बढ़ने का अवसर ले लेगा। वही सेमीकंडक्टर चिप्स के लिए जाता है। यदि अमेरिका चीन के खिलाफ चिप उद्योग में नाकेबंदी करता है, तो यह केवल चीन के अनुसंधान और विकास प्रक्रिया को गति देगा।

अगस्त 2020 में, चीन ने एकीकृत सर्किट उद्योग और सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास के बारे में एक दस्तावेज़ जारी कर यह घोषणा की कि चीन की चिप आत्मनिर्भरता दर 2025 तक 70% तक पहुंच जाएगी। 2022 में, चीन ने 538.4 बिलियन चिप्स का आयात की, जो पिछले साल से 15% की कमी हुई। आयात मूल्य 2.82 ट्रिलियन युआन रहा, जो पिछले साल से 5% की कमी हुई। उधर, घरेलू चिप ऑर्डर की संख्या 97 बिलियन तक पहुंच गई, साल-दर-साल 15% की वृद्धि हुई। अब मध्य-से-निम्न-अंत चिप्स के क्षेत्र में, चीन ने बड़े पैमाने पर घरेलू प्रतिस्थापन हासिल किया है, और उच्च-अंत क्षेत्र में आयात प्रतिस्थापन भी शुरू हो गया है। इतिहास में चीन के खिलाफ नाकेबंदी कभी प्रभावी नहीं रही, बल्कि चीन के स्वतंत्र विकास को प्रोत्साहित किया गया। चीन के मानव संसाधन, उत्पादकता स्तर और विशाल बाजार को देखते हुए, जब तक निश्चित क्षेत्र में तकनीकी सफलता मिल पाया, तब तक पूरी औद्योगिक श्रृंखला का निर्माण किया जाएगा।

चीन और भारत जैसे स्वतंत्र एशियाई देशों के लोग “आत्मनिर्भरता” को बहुत महत्व देते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि बाहरी सहायता पर निर्भर रहना अवास्तविक है, और वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति केवल उनके द्वारा ही की जा सकती है। यह “आत्मनिर्भरता” की भावना के आधार पर है कि चीन ने स्वतंत्र रूप से कृत्रिम उपग्रहों से लेकर अंतरिक्ष स्टेशन, क्वांटम संचार, बीडौ नेविगेशन और बड़े नागरिक विमान सहित कई उच्च-तकनीकी परियोजनाएं विकसित की हैं। तथ्यों से यह साबित है कि नाकेबंदी करने से चीन के विकास को नहीं रोका जा सका, बल्कि नवाचार करने में चीन के दृढ़ संकल्प और क्षमता को ही मजबूत किया जाएगा।

(साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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