“सफेद जेड” तोफू की कहानी

  “असली सफेद जेड की एक बॉल को मसलें और इसे भविष्य के लोगों को लौटाएं। यह कविता जादुई पारंपरिक चीनी व्यंजन तोफू के बारे में है। चीन में तोफू का लंबा इतिहास रहा है, जिसके प्रति प्यार ने तोफू बनाने की तकनीक की उन्नति और विकास किया। साथ ही, तोफू संस्कृति न केवल चीनी.

 

“असली सफेद जेड की एक बॉल को मसलें और इसे भविष्य के लोगों को लौटाएं। यह कविता जादुई पारंपरिक चीनी व्यंजन तोफू के बारे में है। चीन में तोफू का लंबा इतिहास रहा है, जिसके प्रति प्यार ने तोफू बनाने की तकनीक की उन्नति और विकास किया। साथ ही, तोफू संस्कृति न केवल चीनी राष्ट्र के पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई एक अनमोल विरासत है, बल्कि चीनी राष्ट्र की खाद्य संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

चीन के आनह्वेइ प्रांत के हुऐनान में स्थित बागोंग पर्वत विश्व प्रसिद्ध तोफू का जन्मस्थान है। इसलिए हुऐनान को “तोफू का गृहनगर” के नाम पर भी जाना जाता है। प्राचीन चीन में पश्चिमी हान राजवंश में, अमरता के अमृत की तलाश के लिए, हुऐनान के राजा ल्यू आन को अमृत बनाते समय गलती से तोफू मिल गया। बाद में, तोफू आम लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया, जिससे सभी लोगों को लाभ हुआ और चीनी मानव खाद्य संस्कृति के विकास में महान योगदान मिला।

किंवदंती है कि ल्यू आन अमृत लेने के बाद अमर हो गया। उसकी मुर्गियां और कुत्ते बचे हुए अमृत को खाने आए और अमर बने। यह चीनी मुहावरा “जब कोई व्यक्ति शीर्ष पर पहुंच जाता है, तो उसके सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को भी उससे लाभ होता है। ” का मूल है। चीनी लोगों के बीच कई रंगीन तोफू कहानियाँ, लोकप्रिय व सरल तोफू गीत, दार्शनिक तोफू कहावतें और विनोदी तोफू कहावतें लोकप्रिय हैं। चीनी कामकाजी लोगों के ये मौखिक कार्य तोफू संस्कृति का स्रोत हैं।

चीन में, तोफू की अनूठी भावना और गुणवत्ता से एक अद्वितीय “तोफू संस्कृति” स्थापित हुई है। यह एक ऐसी संस्कृति है, जो तोफू के अनूठे स्वाद, समृद्ध पोषण, शैली व गुणवत्ता, इसमें निहित दर्शन और ऐतिहासिक उत्पत्ति के आधार पर भोजन से मानव आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करती है। थांग राजवंश के थ्येनबाओ काल के 10वें वर्ष (757 ईस्वी) में चीनी भिक्षु जियानजेन ने पूर्व की ओर जापान की यात्रा की। इसके बाद उन्होंने जापान में तोफू तकनीक का प्रसार-प्रचार किया। इसलिए, जापानी तोफू उद्योग ने हमेशा भिक्षु जियानज़ेन को तोफू बनाने का संस्थापक माना है।

सोंग राजवंश में तोफू को डीपीआरके में लाया गया था। 19वीं सदी की शुरुआत में, तोफू को चीन से यूरोप, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में पेश किया गया था। पूरे दुनिया में तोफू के लोकप्रिय के साथ, तोफू, चीनी लोग इसे दो हजार वर्षों तक दैनिक भोजन के रूप में खाते रहे हैं, अब दुनिया भर के लोगों की मेज़ पर एक स्वादिष्ट व्यंजन बना है। तोफू न केवल लोगों की मेज़ पर एक स्वादिष्ट व्यंजन है, यह पोषक तत्वों से भरपूर है और यह चिकित्सा व स्वास्थ्य देखभाल में इस्तेमाल होता है।

तोफू और उसके उत्पादों में मौजूद वनस्पति प्रोटीन में मानव शरीर के लिए 8 आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। तोफू को नियमित रूप से खाने से लोगों के रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो सकती है और धमनीकाठिन्य की संभावना कम हो सकती है। सिल्क तोफू में सोया लेसिथिन भी होता है, जो जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह मानव कोशिकाओं की सामान्य गतिविधि और चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

तोफू का नियमित सेवन न केवल न्यूरस्थेनिया और कमजोर संविधान वाले लोगों के लिए फायदेमंद है, बल्कि उच्च रक्तचाप, धमनीकाठिन्य, कोरोनरी हृदय रोग आदि के रोगियों पर भी कुछ सकारात्मक प्रभाव डालता है। वर्तमान में, तोफू को विश्व स्तर पर “अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य भोजन” के रूप में मान्यता दी गई है। तोफू संस्कृति न केवल पारंपरिक विशेषताओं वाली एक खाद्य संस्कृति है, बल्कि एक पारंपरिक लोक संस्कृति भी है, जो भोजन व व्यंजन की अवधारणा से परे है। इसके अर्थ बेहद समृद्ध हैं। लोगों को तोफू संस्कृति का विकास जारी रखने, इसमें निहित संस्कृति की खोज करने और इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है।

(साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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